भोपाल। कुपोषण के मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष फिर आमने-सामने हुए। प्रश्नकाल खत्म होते ही कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने कहा कि कुपोषण से प्रतिदिन 80 बच्चों की मौत हो रही है। इस पर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन लगता है कि आसंदी मजबूर है। सरकार सदन चला रही है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा ने कहा कि गुरुवार को भी यह विषय उठा था, तो मैंने आपसे (रावत) कहा था कि कक्ष में आकर मिलें। आप नहीं आए। कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य महेंद्र सिंह कालूखेड़ा ने जब कहा था कि कुपोषण को अगले सत्र में ले सकते हैं, तब भी आप कुछ नहीं बोले। अब चर्चा मांग रहे हैं। दरअसल आपका इंटरेस्ट (रुचि) ही नहीं है।
अध्यक्ष के इतना कहते ही कांग्रेसी बिफर गए। रावत ने कहा-यह आपत्ति जनक है। हम यहां किस लिए आते हैं। जब कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में चर्चा हो गई तो बार-बार क्यों कक्ष में आएं। हंगामे के बीच टीका-टिप्पणी हुई तो स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने रावत से कहा कि वे अध्यक्ष पर आरोप लगा रहे हैं। माफी मांगें। रावत बोले-आप सिखाएंगे कि क्या कहें? फिर राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता और संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी खड़े हो गए और कहा कि विपक्ष का यह तरीका ठीक नहीं है।
नरोत्तम मिश्रा ने कहा-लगातार व्यवधान हो रहा है। पहले विपक्ष बोलता है और जब सुनने की बारी आती है तो भाग जाता है। मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री के साथ भी ऐसा ही किया गया। विवाद बढ़ा तो अध्यक्ष डॉ. शर्मा ने विपक्ष से कहा कि अनर्गल आरोप न लगाएं। उपनेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन ने कहा कि यह अति लोक महत्व का विषय है, जिस पर बात होनी चाहिए। सदन गंभीर नहीं है। विवाद बढ़ता देख अध्यक्ष ने शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी।
खफा कांग्रेस ने बहिगर्मन किया।