आगरा। नोटबंदी के बाद शुरू हुई नगदी की मुश्किलें अभी थमी नहीं हैं। आगरा में एक सीआरपीएफ के रिटायर्ड जवान ने आत्महत्या कर ली। राकेश चंद नाम का यह व्यक्ति कई बार पैसे के लिए गया था लेकिन बेरंग लौटा। आखिर तंग आकर खुद की बंदूक से खुदकुशी कर ली।
यह वही जवान था जिसने 26 साल पहले कश्मीर में तैनाती के दौरान पांच गोलियां खाईं थीं। ऑपरेशन के बाद ये गोलियां निकाली गई थीं लेकिन नोटबंदी की मार वे झेल ना सके। उनके पुत्र सुशील बताते हैं कि उस घटना के बाद से ही वे हार्ट पेशेंट थे। चार साल पहले वे रिटायर हुए। ताजगंज स्थित एसबीआई ब्रांच से वे पैसे निकालने जाते थे।
हार्ट ट्रीटमेंट के लिए पैसे की जरूरत थी। उनकी पेंशन 15 हजार रुपए माह थी। डॉक्टर को देने के लिए उन्हें 6 से 7 हजार रुपए की दरकार थी। गत 8 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी।
इसके बाद से ही देश भर में लोग एटीएम व बैंकों के बाहर कतार में खड़े नजर आ रहे हैं। सरकार के दावों के बावजूद अभी भी कैश की कमी बनी हुई है एवं एटीएम खाली पड़े हैं। हर जगह डिजिटल पेमेंट नहीं हो सकता एवं नगदी के अभाव में लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इसके चलते लोगों में गुस्सा है। एक ओपिनियन पोल में यह बात सामने आई है कि नोटबंदी को अब लोग असुविधा मानने लगे हैं। ग्रामीण व अर्ध-ग्रामीण इलाकों में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। शहरों में स्थिति औसत है।