मप्र: प्राइवेट अस्पतालों ने इलाज से मना किया तो FIR

भोपाल। नोटबंदी के बाद शिकायतें मिलीं हैं कि मध्य प्रदेश के कई प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को इसलिए इलाज नहीं दिया गया क्योंकि उनके पास अमान्य हो चुकी मुद्राएं थीं। इस मामले में मप्र शासन की ओर से अवगत कराया गया है कि मध्यप्रदेश उपचर्या गृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएँ नियम 1997 की कंडिका 17.3 में प्रावधान है कि कोई नर्सिंग होम, निजी चिकित्सालय या क्लीनिक रोगी को आकस्मिक समुचित उपचार देने से मना नहीं कर सकता। यदि वो ऐसा करता है और शिकायत प्रमाणित पाई जाती है तो अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। यदि मरीज की मौत होती है तो अस्पताल के मालिक व प्रबंधक के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी। 

राज्य शासन ने प्रदेश के निजी चिकित्सालयों, क्लीनिक एवं नर्सिंग होम को 500 एवं 1000 के नोटों के बंद होने के कारण रोगियों को समुचित उपचार उपलब्ध कराने से मना नहीं करने के निर्देश दिये हैं। संचालक स्वास्थ्य सेवा डॉ. के.के. ठस्सू ने बताया कि जिलों और सीएम हेल्पलाइन से शिकायतें मिल रही हैं कि निजी नर्सिंग होम मरीजों के पास आवश्यक वैध रूपयों के नोट उपलब्ध न होने के कारण उपचार देने से मना कर रहे हैं। डॉ. ठस्सू ने कहा कि यह चिकित्सकीय व्यवसाय की संहिता के विरूद्ध है। इस संबंध में संचालक स्वास्थ्य सेवा की अध्यक्षता में आज हुई बैठक में मध्यप्रदेश नर्सिंग होम एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भी भाग लिया।

कलेक्टर के साथ आज ही बैठक करें CMHO
संचालक स्वास्थ्य सेवा ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को आज ही कलेक्टर की अध्यक्षता में अपने-अपने जिले के नर्सिंग होम एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर किसी भी मरीज को नोटों के कारण उपचार देने से मना न करने की समझाइश देने के निर्देश दिये हैं। रोगी का आवश्यक उपचार तुरंत किया जाये।

यह है नियम
मध्यप्रदेश उपचर्या गृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएँ नियम 1997 की कंडिका 17.3 में प्रावधान है कि कोई नर्सिंग होम, निजी चिकित्सालय या क्लीनिक रोगी को आकस्मिक समुचित उपचार देने से मना नहीं कर सकता। सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों से 11 नवम्बर को सुबह 11 बजे तक निर्देशों का पालन कर की गई कार्यवाही से अवगत करवाने के निर्देश दिये गये हैं।

बैठक में मध्यप्रदेश नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. श्रीकांत जैन और डॉ. उमेश शारदा ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों के नर्सिंग होम एसोसिएशन के पदाधिकारियों को तत्काल निर्देश जारी किये जा रहे हैं कि वे उक्त कारण से किसी को उपचार देने से मना न करें।

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