
सोनिया ने जेल की सुरक्षा व्यवस्था भी गंभीर सवाल उठाए हैं। उसने बताया कि पिता गंभीर रूप से हृदय रोग से पीड़ित थे। उनकी नियमित दवा चल रही थी। परिवार के लोगों को टेंशन न हो, इसलिए जेल की अपनी मजबूरी की ड्यूटी के तनाव को वह जाहिर नहीं करते थे।
लेकिन वह बताते थे, कि बेटा जहां मेरी ड्टूटी लगाई जाती है, वे बड़े खतरनाक लोग हैं। बिना गाली के बात नहीं करते हैं। अलग से पौष्टिक खाना और जेल में प्रतिबंधित वस्तुओं की मांग करते हैं। यह बात जब अपने अधिकारियों से कहते हैं, तो उनका दो टूक जवाब रहता है। वे लोग जो मांगे वो दो। खुद अफसर कभी आतंकियों की सेल की तरफ झांकने तक नहीं जाते थे।
शहीद की बेटी के सुरक्षा पर सवाल
डेंजर जगह थी तो सीसीटीवी कैमरे क्यों खराब थे,जबकि आतंकियों के मनारंजन के लिए टीवी 24 घंटे चालू रहते थे
हत्या करने और जेल से भागने में जिन औजारों का इस्तेमाल हुआ, वो एक दिन में नहीं बन सकते थे, जेल में फिर निगरानी किस बात की होती है।
खतरनाक आतंकियों की बैरक में बुजुर्ग, बीमार लोगों की ड्यूटी लगाई जाती थी, जबकि जवान कर्मचारी अफसरों के घर बेगारी करने के लिए तैनात रहते हैं।
खूंखार अपराधियों की निगरानी करने वाले जेल कर्मचारी निहत्थे रहते हैं।