गुरूजी खुद पर रखे विश्वास, फालतू की बातों पर न दें ध्यान

आप सभी को सादर वंदे-मातरम..
वर्तमान समय में सभी गुरूजी बहुत ही परेशान है,सभी को लग रहा है। हमारी मांगों का निराकरण जल्दी हो जाये,हमको 22/10/2011 से संविदा एवं नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता का निर्धारण के साथ अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान होना नितान्त आवश्यक है। वर्तमान में बहुत से गुरूजी अपनी ताकत को भूल गए है,फालतू में इसके उसको पीछे लगकर भ्रमित हो रहे है। एक बात जरुरी चीज है कि सबसे पहले हम सभी को अपने मूल पद गुरूजी की लड़ाई के लिए लड़ना होगा।सभी को एकजुट होना जरुरी है,कुछ गुरूजी केवल सोशल मीडिया में ही सक्रीय रहकर हर काम कराना चाहते है। सोशल मीडिया के लोगो की अपनी अलग ही कल्पना शक्ति की दुनिया है,सब अपने में खोये रहते है।ऐसे लोग किसी पर भी किसी भी समय छीटाकशी करते है और ऐसे छुप जायेगे जैसे गधे के सिर से सींग। खैर आज हम लोग अपने गुरुजियों के संवर्गो के बारे में बात करते है ,बड़े ही मजेदार है। 

1) सबसे पहले 2008 में पात्रता परीक्षा पास गुरूजी जो कि अपने आप को सबसे ज्यादा सुपर मानते है,इनको आज सबसे ज्यादा जरुरी वरिष्ठता है पर ये अपने को गुरूजी संवर्ग का मानने को दूर ,सुनने को तैयार नही है ये लोग सबसे बड़े बॉस है। ये कभी इस संगठन में तो कभी दूसरे संगठन में घूमते रहते है।गुरुजियों के लिए सबसे बड़ी कमजोरी का कारण ये ही है।

2)अब दूसरे नंबर पर है दूसरी पात्रता परीक्षा 2009 पास करने गुरूजी । वर्तमान समय में ये लोग भी सहायक अध्यापक बन गए है और अपने को बॉस मानने लग गए है। इनसे आप सब बात कर लो पर गुरूजी की बात नही कर सकते। इनको लगता है कि अब हमें गुरूजी से क्या करना हम तो अध्यापक बन गए। इतना भी नही जानते है कि वरिष्ठता का मिलना बहुत जरुरी है,और ये काम आपका संगठन करेगा दूसरे संगठन नही। आप लोगो को अपना खुद का पहले देखना होगा।

3)सबसे अंतिम है ऐसे गुरूजी जो कि पात्रता परीक्षा में असफल है तथा सरकार ने अन्याय करके इनको 22/10/2011 के स्थान पर फरवरी 2014 से संविदा बना दिया है। ये सबसे ज्यादा परेशान वर्ग है क्योंकि महगाई के भीषण दौर में 5000 वेतन में गुजारा करना बहुत ही कठिन काम है।हम सब इनके साथ इनकी लड़ाई में है ,परंतु दोस्तों ये वर्ग किसी पर विश्वास ही नही करता । कभी किसी संगठन के पीछे तो कभी किसी संगठन के पीछे लगा रहता है। दूसरे संगठन केवल इनका आर्थिक उपयोग एवं भीड़ बढ़ने के लिए ही करते है। इनको यह सोचना चाहिए कि आपका काम केवल आपसे जुड़े लोग ही कर सकते है बाकी अन्य लोगो को आपसे क्या मतलब। देर सवेरे इनको अक्ल आयेगी और सभी एकजुट होंगे पर उस समय तक काफी देर न हो जाये साथियों,कही समय न निकल जाये।

इन तीनों प्रकार के गुरूजी संवर्ग की केवल दो ही मांग है पहली असफल गुरूजी की  22/10/2011 से संविदा में गणना एवं सभी गुरुजियों को नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता का निर्धारण करना। इसके बाद मृत गुरुजियों के परिजनों को अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ है।

 बहुत से गुरूजी शिकायत करते है कि  संगठन ने आपको कुछ नही दिया,एक बात ध्यान रखिये संगठन न होता तो विभाग का शोषण आपको समझ में आता । कई का कहना है कि मजदूर संघ के कारण हमें कुछ नही मिला तथा हमने हड़ताल वापिस ले ली। ऐसे लोगों के बारे में केवल एक ही बात है कि तुम दोगले हो।गुरूजी संगठन में जितने भी निर्णय हुए सब के सामने सबकी राय से हुए। कोई भी फैसले में मजदूर संघ या उनके लोगो ने हस्तक्षेप नहीं किया । हमारे आंदोलन  में उनने रात दिन हमें सहयोग दिया,हमें भोपाल में रहने के लिए आश्रय दिया। 

सभी गुरूजी के संवर्गो को वर्तमान में।एक होकर अपने ताकत को।पहचानना होगा,अपना निर्णय लेना होगा तभी हम सब कुछ सरकार से ले पाएंगे।केवल सोशल मीडिया में बात करने या आपस में वाद विवाद से कुछ नही होना,आपको अपनी मांगों के निराकरण के लिए अपने संवर्ग का साथ देना होगा तभी कुछ होगा अन्यथा कुछ नही होगा।कहा भी गया है कि अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता,अतः आप एकजुट हो और प्रदेश के राजधानी की तैयारी रखे। हम अभी धैर्य से काम ले रहे है पर इतिहास गवाह है कि गुरुजियों को आक्रोशित होने में ज्यादा समय नही लगता है। आगे आप खुद समझदार है ,जय हिंद जय भारत...
भारत माता की जय

भवदीय
सन्दर्भ सिंह बघेल
प्रांताध्यक्ष
राज्य सहायक अध्यापक संघ म प्र
(गुरूजी संघ)
मोबाइल-9827367393

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