शहडोल चुनाव: ढाई लाख की खाई, कैसे मिटेगी भाई

अनूपपुर। लोकसभा उपचुनाव की सरगर्मी आज से पूरे संसदीय क्षेत्र में तेज होने जा रही है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ, राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा के साथ दर्जनों वरिष्ठ कांग्रेस नेता शहडोल संसदीय क्षेत्र के चुनावी मैदान में उतर रहे हैं लेकिन इनके चुनावी मोर्चा संभालने के बाद भी कांग्रेस पार्टी अपने ढाई लाख के खाई से निकलते नहीं दिख रही। 

गति की तलाश में पार्टी
विगत दो वर्ष पूर्व हुए लोकसभा चुनाव में समूचे संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती राजेश नंदिनी सिंह को भाजपा प्रत्याशी दलपत सिंह परस्ते ने लगभग ढाई लाख मतों से पराजित कर दलपत सिंह ने मध्यप्रदेश में अपना नाम रोशन किए थे। उस ढाई लाख के गहरी खाई से कांग्रेस पार्टी ढाई वर्ष बाद भी नहीं उभर सकी है। 

कांग्रेस को है बडी चुनौती
संसदीय क्षेत्र अंतर्गत उमरिया, अनूपपुर, शहडोल जिले के कांग्रेसजन ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, जिला पंचायत, नगरीय निकाय, विधानसभा चुनाव में जुटे सभी कार्यकर्ताओं को एकजुट कर सक्रिय करना पार्टी के समक्ष बडी चुनौती है। 

नहीं खुले चुनाव कार्यालय 
संसदीय क्षेत्र अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र बडवारा, बांधवगढ, मानपुर, जयसिंह नगर, जैतपुर, कोतमा, पुष्पराजगढ़, अनूपपुर के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक पूरी तरह से कार्यालय नहीं खुल सके हैं ना ही पार्टी कार्यकर्ताओं को कोई जिम्मेदारी दे रहे हैं।

आम जन तक नहीं पहुंच रहे कांग्रेस नेता
लोकसभा उपचुनाव में अपने प्रत्याशी हेमाद्री सिंह के चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस नेता न तो शहरी क्षेत्र में पहुंच रहे ना ही ग्रामीण क्षेत्र में जाकर प्रदेश सरकार की असफलताओं के बारे में अवगत कराकर अपनी बात रख रहे। 

कमल का मुकाबला कमलनाथ से
प्रदेश में विगत १३ वर्षों से भाजपा की सरकार स्थापित है। झाबुआ लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया ने प्रचण्ड मतों से विजय प्राप्त कर परचम लहराया था लेकिन शहडोल संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में कमलनाथ का मुकाबला सीधे कमल निशान से हो रहा है।

कार्यकर्ता सम्मेलन को नहीं मिली जगह
पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ एवं राज्य सभा सदस्य विवेक तन्खा जैसी दिग्गज हस्ती के आगमन पर कहीं नगर के कोने में तो कहीं नदियों के किनारे कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन जिम्मेदार पदाधिकारियों द्वारा कराया जा रहा है। इन्हे शहर में कहीं कोई ऐसा स्थान नहीं मिला जहां ये कार्यकर्ता सम्मेलन करा सकें।

वनवास के बाद भी ऐंठन नहीं हुई कम
कांग्रेस पार्टी प्रदेश से लगभग 13 वर्षों से वनवास में जा चुकी है फिर भी अभी कांग्रेस नेताओं की ऐंठन कम नहीं हुई है। बडे कांग्रेस नेता अपने कार्यकर्ताओं से सीधे मुंह बात न करना एवं जिम्मेदारी न देना जिसके चलते लोकसभा उपचुनाव में प्रत्याशी को परेशानी को सामना करना पड रहा है।

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