बालाघाट में नवजात शिशुओं की मौत मामले में डॉक्टरों को नोटिस जारी

सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। जिला चिकित्सालय बालाघाट के ट्रामा यूनिट में विगत 18 सितंबर को हुई तीन नवजात शिशुओ की मौत हो जाने के मामले की स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशासन द्वारा जांच की गई थी। जांच में आये तथ्यों के आधार पर जिला चिकित्सालय में पदस्थ डा. संजय दबडघाव चिकित्सा अधिकारी डा. रश्मि वाघमारे तथा शिशुओ रोग विशेषज्ञ नितेन्द्र रावतकर को दोषी पाया गया है। अपर संचालक स्वास्थ्य सेवायें श्रीमती शैलबाला मार्टिन इन अधिकारियों को नोटिस भेजकर 15 दिनों के अंदर जवाब मांगा गया है।

यह उल्लेखनीय है कि 18 सितंबर को 3 नवजात शिशुओ की मौत हो गई थी जिसमें लालबर्रा तहसील के रानीकुठार गांव निवासी प्रसूता धर्मवती पति पालसिंह 29 वर्ष, खैरलांजी तहसील के मानेगांव निवासी प्रसूता आशा पति दिलीप 24 वर्ष तथा हटटा क्षेत्र के बुढी निवासी प्रसूता संतोषी पति ललित वराडे को प्रसव हुआ था इन तीनों ही प्रसूताओं के शिशुओ की आकस्मिक मौत हो गई जिसकी शिकायत किये जाने पर प्रशासनिक एवं विभागीय जांच की गई जिसमें तीनों चिकित्सकों का दोषी होना पाया गया है जांच में आये तथ्यों के अनुसार सिविल सर्जन डा. संजय दबडघाव को घटना दिनांक को समूचित मानीटरिंग नही करने, समन्वय का अभाव, समय पर उचित निर्णय नही लेने, इमरजेंसी व्यवस्था नही बनाने तथा टामा सेंटर में आपातकालिन स्थिति में जीवनरक्षक उपकरणों के संचालन में पर्याप्त व्यवस्था नही करने तथा लापरवाही बरतने का दोषी पाया गया।

प्रसूता संतोषी पति ललित वराडे को 17 सितंबर को सुबह 5 बजे प्रसव के लिये भर्ती किया गया था जहां उसका प्रथमोपचार डा. चतुरमोहता द्वारा किया गया लेकिन डा. रश्मि वाघमारे की डयूटी होने के बावजूद वे अस्पताल में उपस्थित नही हुई तथा विलंब से सुबह 11 बजे अस्पताल पहुंची और उन्होने प्रसूता के परिजनों से 5000 रू की मांग स्वयं के लाभ के लिये की प्रसूता से मांगी गई राशि ना मिलने के कारण प्रसूता का प्रसव जिला चिकित्सालय में बिजली नही होने का हवाला देकर नही कराया गया इस कारण डा. रश्मि वाघमारे का यह कृत्य मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम उपनियम 1 के खंड 1,2,3 का उल्लंघन करने का उन्हे दोषी पाया गया है।

इसी प्रकार शिशुओ रोग विशेषज्ञ डा. नितेन्द्र रावतकर को 18 सितंबर को जिला चिकित्सालय बालाघाट के एस.एन.सी.ई.यू. में सुबह 8 बजे से दोपहर 3 बजे तक बिजली आपूर्ति नही होने के बाद भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नही करने, बच्चों की मौत के मामले में समूचित मानीटरिंग नही करने, एमरजेंसी व्यवस्था नही करने तथा आपातकालिन स्थिति में जीवनरक्षक उपकरणों को संचालन हेतु पर्याप्त व्यवस्था नही करने के लिये दोषी पाया है।

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