सैनिक को शादी के लिए भी नहीं मिली छुट्टी, सुसाइड कर लिया

दमोह। सीमा पर देश की रक्षा के लिए सैनिक दुश्मन की गोलियों का सामना करते हैं, यह तो प्रशंसनीय है परंतु सिस्टम में सैनिकों के अपने ही अफसरों के अत्याचारों का शिकार होना पड़े। यह उचित कैसे हो सकता है। पठानकोट में तैनात हिंडोरिया निवासी प्रीतम पिता भोले चौरसिया को सेना के अफसरों ने शादी करने के लिए भी छुट्टी नहीं दी। उसे लास्ट डेट तक उलझाए रखा गया और एन वक्त पर मना कर दिया। इधर घर में मेहमानों की दावत चल रही थी। लोग दूल्हे का इंतजार कर रहे थे। खबर आई दूल्हे ने सुसाइड कर लिया। 

परिजन पंजाब से फौजी का शव लेकर बुधवार की सुबह हिंडोरिया पहुंचे। यहां शादी के दिन ही उसका अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार में प्रीतम के गांव के साथ ही साथ आस-पास के गांव के भी लोग शामिल हुए। मृतक प्रीतम चौरसिया के भाई मुकेश चौरसिया ने बताया कि पठानकोट पहुंचने के बाद अधिकारियों ने उन्हें प्रीतम का शव नहीं दिखाया। न ही परिजनों को घटना स्थल पर ले जाया गया। सुसाइड नोट के बारे में भी कोई जिक्र नहीं किया गया। सीधे शव अमृतसर से दिल्ली और दिल्ली से इंदौर फ्लाइट से पहुंचा दिया। अब तक कोई जानकारी नहीं दी गई। इधर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए वधु पक्ष के लोग भी दमोह पहुंचे।

सूचना मिली तो गम में बदल गईं खुशियां
20 नवंबर को जैसे ही परिजनों को प्रीतम के आत्महत्या करने की सूचना मिली तो सारी खुशियां मातम में बदल गईं। नीरज ने बताया कि 20 नवंबर को व्यवहारियों का प्रीतिभोज था। उस दिन खाना बनाया जा रहा था कि दोपहर डेढ़ बजे जैसे ही फोन पर सूचना मिली की प्रीतम ने आत्महत्या कर ली है तो सभी बिलखने लगे। उन्होंने बताया कि सभी रिश्तेदारों व परिचितों को शादी के कार्ड बांटे जा चुके थे। रिश्तेदारों का आना भी शुरू हो गया था। इसके पहले जून में प्रीतम की सगाई सागर निवासी कीर्ति के साथ हुई थी।

पिता की आंखों से नहीं थम रहे आंसू
इस घटना के बाद हिंडोरिया में प्रीतम के घर लोगों का आना-जाना लगा रहा। गांव के सारे लोग फौजी के घर के बाहर बैठे थे, सभी के चेहरे मायूस थे लेकिन वह अपना दर्द अंदर ही अंदर दबाए हुए थे। इसी बीच प्रीतम के पिता भोले प्रसाद भी एक कुर्सी पर बैठे थे। अपने जवान बेटे के मौत का गम उनकी रूंधती आंखों में नजर आ रहा था। घर के अंदर महिलाओं के रोने की आवाज आ रही थी।

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