यूपी चुनाव के बहाने हाईकोर्ट में पेश नहीं हुए कैलाश विजयवर्गीय

इंदौर। यूपी चुनाव में अभी काफी वक्त है और कैलाश विजयवर्गीय उत्तरप्रदेश के चुनाव प्रभारी भी नहीं है बावजूद इसके उन्होंने हाईकोर्ट में यूपी चुनाव प्रचार के बहाने हाईकोर्ट में पेश नहीं हुए। उन्होंने हाईकोर्ट से 2 महीने का समय मांगा परंतु हाईकोर्ट ने उनका आवेदन खारिज कर दिया। बता दें कि महू विधानसभा चुनाव में 'नोट फॉर वोट' मामले में कैलाश विजयवर्गीय एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान फंसे हुए हैं। मामला अब फाइनल स्टेज पर आ गया है। 

यह तारीख कैलाश विजयवर्गीय की सहमति के बाद तय की गई थी। इससे पहले भी वो अनुपस्थित हुए थे। सहमति के बाद भी महू विधायक और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सोमवार को हाई कोर्ट के समक्ष अपने बचाव में बयान दर्ज करवाने नहीं पहुंचे। उनकी तरफ से एक आवेदन कोर्ट में पेश किया गया। उसमें लिखा कि उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है। विजयवर्गीय को वहां प्रचार की जिम्मेदारी मिल सकती है। लिहाजा, दो महीने बाद बयान के लिए बुलाया जाए। 

हाई कोर्ट ने सबसे पहले तो उनका आवेदन खारिज किया और उनके नहीं आने के निर्णय को खेदजनक माना। साथ ही कहा कि 17 नवंबर को विजयवर्गीय उपस्थित नहीं होते हैं तो उनका बचाव पक्ष के बयान दर्ज कराने का अवसर समाप्त कर दिया जाएगा। जस्टिस जरतकुमार जैन की बेंच के समक्ष इस चुनाव याचिका की सुनवाई हो रही है। याचिकाकर्ता अंतरसिंह दरबार की ओर से अधिवक्ता रवींद्रसिंह छाबड़ा पैरवी कर रहे हैं। 

सुनवाई के दौरान विजयवर्गीय के वकील शेखर भार्गव और विवेक पटवा ने आवेदन पेश किया। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से आपत्ति ली गई कि बचाव पक्ष के बयान के लिए 7 नवंबर की तारीख सहमति से ली गई थी। इसके बाद भी हाई कोर्ट के निर्देश को नजरअंदाज किया जा रहा है। विजयवर्गीय पर चुनाव प्रचार के दौरान करप्ट प्रैक्टिस के आरोप लगे हैं। उत्तरप्रदेश के चुनाव में भी प्रचार करेंगे। उनके नहीं आने पर प्रचार में शामिल होने पर भी रोक लगाई जाना चाहिए। 

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