राजा के भेदभाव व मंत्री के बडबोले पन पर माई के लाल दिखाएंगे अपना दम

राजेश शुक्ला। शनै: शनै: चुनावी गर्मी अपने चरम पर पहुंच रही है और दलों में व्याकुलता बढ़ रही है। इसके साथ ही सभी दल के कार्यकर्ता, राजनेता एवं प्रत्याशियों ने नींद और भूख को त्याग कर अपनी विजय के लिए रात-दिन एक कर अधिक से अधिक समय जनता के बीच पहुंच कर बिता रहे हैं। प्रत्याशी की दिनचर्या में पूरी तरह बदलाव है, कोई देर रात तक कुछ घंटों के लिए बिस्तर पर जाता है और प्रात: फिर से जनता के बीच अपनी बात रखने के लिए हाजिर हो जाता है। 

शहडोल संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच का माना जाता है। किंतु इस बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरा सिंह मरकाम के मैदान में होने के साथ छग के नेता अजीत जोगी के साथ प्रदेश के कई पूर्व विधायकों ने गोंगपा के लिए क्षेत्र की जनता से मतदान की अपील की है, जिससे इन दोनों दलों के लोगों की बेचैनी बढ़ गई है। एक ओर जहां ताजा सर्वे के अनुसार सत्ताधारी दल के पिछडने की रिपोर्ट से सत्तादल की नेताओं की होश उडे हुए हैं और यह चुनाव अब प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह बनाम हिमाद्री सिंह होकर रह गया है। इस पूरे चुनाव में भाजपा के लोग व स्वयं मुख्यमंत्री अपने किए गए कार्यों के दम पर मतदाताओं को अपना एहसान बताकर और जनता का सच्चा हितैषी होने का दम भर कर जनता से अपने पक्ष में मतदान की अपील कर रहे हैं। 

इतना ही नहीं मुख्यमंत्री लगातार क्षेत्र का दौरा कर मतदाताओं को लुभा रहे हैं। इस परिदृश्य में अब शिवराज बनाम हिमाद्री ही रह गया है। जनता को किसे चुनना है यह तो वही तय करेंगे, किंतु यह तो एक नये ढंग का चुनाव हो गया है जो प्रदेश का मुखिया इतना विकास का दम भरने के बावजूद भी लगातार अपने उडऩ खटोले से गांव-गांव पहुंचकर अपने प्रत्याशी को जिताने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ है कि एक उपचुनाव के लिए, वो भी लोकसभा का, एक मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इस चुनाव के बाद यह माना जा रहा है कि प्रदेश सरकार में बदलाव भी हो सकते हैं इसलिए मुख्यमंत्री ऐन केन प्रकारेन से इस चुनाव को जीतकर प्रधानमंत्री व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को यह बताने का प्रयास करेंगे कि जनता के बीच मुख्यमंत्री का जादू बरकरार है।

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं है, उसे तो पाना ही पाना है। कांग्रेस ने एक महिला युवा को अपना प्रत्याशी बनाकर एक थके हारे व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बनाकर युवा के सामने चुनौती पेश की है। किंतु यह चुनौती कहां तक दम भर पाती है यह तो मतदाता ही मतदान के बाद बताएंगे। लगातार हो रहे जनसंपर्क से रूझान दोनों ही दलों को समझ में आने लगा है, इसके बीच गोंडवाना का बढ़ते जनाधार से भी भयभीत है। कांग्रेस प्रत्याशी को क्षेत्र की जनता अभिभावक न होने की सहानुभूति की लहर भी जबरदस्त दिख रह है। यह सहानुभूति लहर गृह ग्राम में तो काफी अच्छी बताई जा रही है। ऐसा ही हाल अनूपपुर व कोतमा विधानसभा में भी दिख रहा है। शहडोल जिले के जयसिंह नगर विधानसभा में कांग्रेस के प्रति रूझान दिख रहा है। जैतपुर विधानसभा में दोनों ही दलों में टक्कर है तो वहीं उमरिया की दोनों विधानसभा सीटों में विपक्षी दल आगे होता दिखाई दे रहा है। 

इन सब के पीछे सत्तादल के बडबोलापन के साथ भाजपा प्रत्याशी के प्रति व्यक्तिगत लोगों की नाराजगी इस चुनाव में जाहिर हो सकती है, खासकर विप्र समाज तो प्रत्याशी के प्रति काफी नाराजगी है। ऐसा माना जा रहा है कि इस प्रत्याशी के अलावा अगर भाजपा किसी अन्य को अपना प्रत्याशी बनाती तो शायद यह स्थिति निर्मित न होती, किंतु प्रत्याशी के गृह ग्राम से लेकर जिले तक में खासा विरोध विप्रो का देखा जा रहा है और यह विरोध उन्हें उस मुकाम तक नहीं पहुंचा सकता, उस मानसिकता का परिणाम तो प्रत्याशी को भोगना पड सकता है तो वहीं दूसरी ओर सूबे के मुखिया ने भी ऐसा एक बयान दिया है, जिससे सामान्य व पिछडा वर्ग के लोग भी नाराज दिख रहे हैं। माना जाता है कि राजा किसी वर्ग, समुदाय व समाज का नहीं होता है वह तो राजा होता है। सब उसके लिए समान होते हैं, किंतु इस प्रदेश के राजा ने तो  लोगों को दो भागों में बांटने का प्रयास किया है और यह खाई इतनी जल्दी नहीं पटने वाली। 

जब किसी देश का राजा ही अपनी प्रजा के साथ दुर्भावना रखे तो वहां की प्रजा राजा का साथ कैसे देगी। अब लोकतंत्र में यह तो मुमकिन नहीं है कि किसी एक का पक्ष लेकर दूसरे पक्ष का अपमान करे और यह अपमान उन माई के लालों का हुआ है, जिन्होंने इस राजा के दल का हमेशा साथ दिया है और अब इस राजा के कारण प्रजा दूर हो रही है। दल के राष्ट्र प्रमुख को इस बात से यह माई के लाल  बताने का एक छोटा सा प्रयास कर रहे हैं कि ऐसे राजा को राज्य में राज करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। अगर इस बात से दल के राष्ट्र प्रमुख चेत गये तो आगामी दिनों के लिए इस राजा को राज्य से निष्कासित कर नये राजा का राज्याभिषेक कर आगे की राज-काज की जिम्मेदारी सौंपी जाये ताकि जो सबदिन इस दल का साथ दिए हैं वह दूर न हो सके अन्यथा आगामी परिणाम और भयावह हो सकते हैं।  ( पढ़ते रहिए bhopal samachar हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।)

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