मप्र: 1 साल में 30 टाइगरों की संदिग्ध मौत, तस्करों के हवाले जंगल

भोपाल। मप्र के नेशनल पार्क भले ही आम आदमियों के प्रवेश के लिए प्रतिबंधित हों परंतु तस्करों को यहां बड़े आराम से आना जाना होता है। वो खुलेआम शिकार करते हैं और अधिकारी उनके सबूत मिटाने में पूरी ताकत लगा देते हैं। मप्र के जंगलों में अब तक 30 बाघों की मौत हो चुकी है। ताजा मामला उमरिया में स्थित बांधवगढ़ नेशनल पार्क से आ रहा है। यहां कई दिन पुराना टाइगर का शव मिला है। 

जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को बांधवगढ़ नेशनल पार्क के पनपथा रेंज के करोंदिया गांव में एक टाइगर का शव मिला है। पार्क प्रबंधन के मुताबिक, शव कई दिन पुराना है। वहीं बाघ की उम्र करीब सात साल बताई जा रही है। बाघ की मौत कैसे हुई फिलहाल इसका खुलासा नहीं हो सका है। पार्क अधिकारियों का कहना है कि बाघ के शव को पीएम की लिए भेजा जाएगा, जिसकी रिपोर्ट आने पर ही मौत की वजह का खुलासा हो सकेगा।

एक साल में 30 बाघों की मौत
प्रदेश में बढ़ती शिकार की घटनाओं को लेकर सरकार कठघरे में है। गैर-सरकारी संगठन इसके लिए सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं। वाइल्ड लाइफ के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे का कहना है कि बाघ के शिकार के अपराध में दोषसिद्धी की दर मध्यप्रदेश में 10 प्रतिशत से भी कम है और प्रदेश में बाघ के शिकार के मामलों में गुप्तचर सूचनाओं की संख्या शून्य है। ऐसे में आप शिकार की घटनाओं पर अंकुश लगाने की कैसे बात कर सकते हैं।

पिछले एक साल में 30 से ज्यादा बाघों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 15 को शिकार के लिए मारा गया। लगातार हो रही मौत से प्रदेश में बाघों की संख्या में भारी गिरावट आई है। 2006 में राज्य में करीब 700 बाघ थे, जो अब घटकर 309 ही रह गए हैं। यही वजह है कि कभी टाइगर स्टेट का दर्जा हासिल करने वाला मध्य प्रदेश वापस इस टाइटल को अपने नाम नहीं कर पा रहा है।

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