
आईपीएस ये डॉ. श्री असित यादव ने कहा कि नक्सल प्रभावित, संवेदनशील बालाघाट जिले में किसी कारणवश पुलिस का मनोबल यदि कमजोर होता है या टूटता है तो उसका नुकसान जिले को होगा और नक्सली, अपराधिक गतिविधियां बढेगी इस लिहाज से हर प्रकार से पुलिस का मनोबल बनाये रखना मौजूदा परिस्थितियों के चलते आवश्यक प्रतीत होता है।
बालाघाट जिले के प्रति अपने सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुये उन्होने कहा कि इस क्षेत्र के लिये उनकी अपनी योजनाएं थी जिनके माध्यम से वे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जनविश्वास को अर्जित करने के लिये काम करने का प्रयास कर रहे थे लेकिन शासन के आदेश के कारण उनका यह सपना अधूरा रहा गया। उन्होने यह भी कहा की उनका उद्देश्य था की जिले के सुदुर अचंलों में स्वस्थ्य, शिक्षा, की व्यवस्था को प्रभावी बनाकर बीहडों में रहने वाले बैगा आदिवासियों की बुनयादी समस्याओं को हल किया जा सके। चर्चा के दौरान उनके चेहरे पर गमगीन भावभंगिमां झलक रही थी।
बैहर की घटना के संबंध में उन्होने कहा की यह घटनाक्रम टीआई की बजाये अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश शर्मा एवं प्रचार सुरेश यादव के बीच लम्बे समय से चल रही तानातनी का नतीजा था लेकिन इसमें बड़ा विवाद का विषय नही बन पाता। प्रचारक द्वारा वाट्सअप पर जिस तरह की भाषा का उपयोग करते हुये टिप्पणीयां की गई थी उसके कारण विवाद ने दूसरा ही रूप धारण कर लिया। उन्होने कहा की चूकि मामला अब जांच में चल रहा है इस लिये कुछ कहना ठीक नही हैं।
पुलिस अधीक्षक डॉ.असित यादव चिकित्सा शिक्षा में एमडी है और वे जिले का पदभार ग्रहण करने के बाद नक्सल प्रभावित जिले की पुलिस व्यवस्था की नब्ज टटोलने और पुलिस एवं जनता के बीच सीधा संवाद कायम करने में लगे हुये थे। उनके अल्प कार्यकाल में अनेक बडे मामलों का खुलासा हुआ और अपराधी जेल के शिकजे में पहुंचाये गये।