
तीनों मामले भोपाल कोर्ट में विचाराधीन
दिग्विजय सिंह के वकील अजय गुप्ता और सुंदर लाल पटवा व विक्रम वर्मा के वकील हरीश मेहता ने आपसी सहमति और बिना शर्त प्रकरण वापस लेने का आवेदन पिछले 16 सितंबर को लगाया था। जेएमएफसी नौशीन खान ने इस आवेदन पत्र को स्वीकार करते हुए पटवा और वर्मा के खिलाफ चल रहा मामला हमेशा के लिए नस्तीबद्ध कर दिया।
1998 में लगाए थे झूठे आरोप
दिग्विजय सिंह पर 1998 के विधानसभा चुनाव के दौरान पटवा और वर्मा ने आरोप लगाया था कि वे हवाला कांड के आरोपी बीआर जैन से मिले हुए हैं। उन्हें भिलाई में जमीन दिलाई गई। पटवा ने यह भी कहा था कि दिग्विजय सिंह को दिल्ली में आउट ऑफ टर्न मकान दिया गया। बाद में आरोप गलत साबित हुए।
बढ़ती उम्र की दुहाई देकर मांगा था राजीनामा
पटवा ने पूर्व में दिग्विजय सिंह से आग्रह किया था कि उनके खिलाफ लगाया गया मानहानि का मुकदमा वापस ले लिया जाए। उन्होंने अपनी बढ़ती उम्र का हवाला भी दिया था, जिसको ध्यान में रखते हुए इस मुक़दमें को वापस लिया गया।
आरोप मैने नहीं भाजपा ने लगाया था: उमा भारती
बुधवार को मीडिया से चर्चा में उमा भारती ने स्पष्ट किया कि दिग्विजय सिंह ने उनके खिलाफ जो मानहानि का मुकदमा दायर किया है, उसमें अकेले मेरी भूमिका नहीं थी। उस समय कैलाश जोशी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष थे और कप्तान सिंह सोलंकी संगठन महामंत्री। आरोप-पत्र में पूरी पार्टी की भूमिका और सहमति थी। इसलिए दिग्विजय के कहने पर माफी नहीं मांगूंगी। कोर्ट जो आदेश देगी करूंगी। 2003 के विधानसभा चुनाव के दौरान उमा ने दिग्विजय पर 15 हजार करोड़ रु. के घोटाले का आरोप लगाया था। दिग्विजय सिंह ने तभी उमा भारती पर मानहानि का केस दायर किया था।