मप्र में चपरासी के बराबर रह गया है क्लर्क का वेतन

भोपाल। पांच दशक पहले कर्मचारियों के तृतीय वर्ग में लिपिक वर्ग (सहायक ग्रेड 3) सबसे अधिक वेतन पाने वाला संवर्ग अब सबसे न्यूनतम पर आ गया है। भृत्य और लिपिक के ग्रेड पे में अब मात्र 100 रूपए का अंतर रह गया है। वेतन और पदनाम से संबंधित 21 विसंगतियां सामने आयी हैं जो अब शासन के सामने राखी जायेगी।

लिपिकों की वेतन और पदनाम की विसंगति के निराकरण करने के लिये 07 मई 2016 को मध्यप्रदेश कर्मचारी कल्याण आयोग के अध्यक्ष श्री रमेशचंद्र शर्मा की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई जिसकी 02 बैठकें हो चुकी है और 26 अक्टूबर 2016 को होने वाली तीसरी बैठक में फाईल प्रतिवेदन का अनुमोदन होगा जिसे शासन को भेजा जायेगा।

यदि ये वेतन विसंगति अभी दूर नहीं हुई तो सातवें वेतनमान में लिपिक संवर्ग और पिछड़ जायेगा और चपरासी के बराबर आ जायेगा। 1956 से 1970 तक लिपिक संवर्ग का वेतन पटवारी, ग्राम सेवक, ग्राम सहायक, पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी, पुलिस उपनिरीक्षक व् अन्य संवर्ग से ज्यादा था जो आज इन सभी के वेतन से लिपिक संवर्ग का वेतन बहुत कम हो चूका है। और आज लिपिक एवं भृत्य के वेतन में बहुत कम अंतर रह गया है।

मध्य प्रदेश 
लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ
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