वक्त से पहले हो सकते हैं उत्तरप्रदेश के चुनाव

लखनऊ। हालात बदल गए हैं। मुकाबला अब सपा, बसपा और भाजपा के बीच नहीं बल्कि सपा का सपा से चल रहा है। पार्टी स्पष्ट रूप से 2 फाड़ हो गई है। गुस्साए अखिलेश की हर कार्रवाई पर जवाबी कार्रवाई मुलायम सिंह की आदत में शामिल है। अखिलेश ने शिवपाल सिंह समेत 4 मंत्री बाहर कर दिए। मुलायम सिंह क्या करेंगे जल्द पता चल जाएगा। जो भी हो, लेकिन सपा के लिए पहले जैसा कुछ नहीं रहेगा। काफी उम्मीदें हैं कि अखिलेश यादव की सरकार वक्त से पहले गिर जाएगी और उत्तरप्रदेश में निर्धारित समय से पहले चुनाव नजर आ जाएंगे। 

ऐसे समझिए यूपी विधानसभा का गणित
यूपी विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं। इसमें से समाजवादी पार्टी के पास सबसे ज्यादा 224 सीटें हैं। बीते चुनाव में दूसरे नंबर पर रही बहुजन समाज पार्टी को 80 सीटें मिलीं, वहीं तीसरे पर रही बीजेपी के खाते में 47 सीटें और 28 सीटें कांग्रेस के खाते में रहीं। इसके अलावा अन्य दलों के हाथों में कुछ-कुछ सीटें हैं।

बहुमत में नहीं बची अखिलेश यादव सरकार
इस वक्त समाजवादी पार्टी पर संकट गहराया हुआ। ऐसे में अखिलेश को यदि बहुमत साबित करना पड़ा तो बेहद कठिन होगा। सूत्रों के मुताबिक समाजवादी पार्टी के 224 विधायकों में से सबसे ज्यादा तो सीएम अखिलेश यादव के साथ 160-170, जबकि शिवपाल के साथ 60-70 विधायक हैं।

समय से पहले चुनाव का फायदा किसे होगा
अब यह गणित लगाया जा रहा है कि यदि यूपी में समय से पहले चुनाव हो गए तो फायदा किसे होगा। एक सर्वे बोलता है कि यूपी में बीजेपी की लहर चल रही है, लेकिन दूसरा सर्वे बोलता है कि यूपी के लोग अखिलेश यादव को बतौर सीएम पसंद करते हैं। बसपा और कांग्रेस को फिलहाल किसी ने मुकाबले में नहीं माना है। अब यदि समय से पहले चुनाव हो गए तो बीजेपी को सीएम कैंडिडेट तलाशने का मौका नहीं मिलेगा। फिलहाल बीजेपी, यूपी में अपनी जमीन जमा रही है। उसे मोदी लहर पर भरोसा है। वो 'सर्जिकल स्ट्राइक' से उत्साहित है परंतु जिस जनता ने 'कारगिल विजय' के बाद अटल सरकार को वोट नहीं दिया, क्या वो 'सर्जिकल स्ट्राइक' के नाम पर मोदी को वोट देगी। यदि सरकार गिरने के बाद मुलायम और अखिलेश फिर से एक हो गए तो। 

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