आईएएस अफसर ने उठाए दीनदयाल उपाध्याय की हैसियत पर सवाल

रायपुर। आईएएस अलेक्स पॉल मेनन द्वारा न्यायपालिका को कटघरे में खड़ा करने का मामला अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ था कि एक युवा आईएएस ने फेसबुक पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की हैसियत पर सवाल खड़े कर राज्य सरकार को सकते में डाल दिया है। जिस पर राज्य सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए तत्काल प्रभाव से मंत्रालय में अटैच कर दिया है।

2012 बैच के आईएएस शिव अनंत तायल कांकेर जिला पंचायत के सीईओ पद पर तैनात हैं। तायल की फेसबुक पोस्ट इन दिनों सुर्खियों में है। क्योंकि उन्होंने कोई छोटे-मोटे आदमी पर सवाल नहीं उठाया है। बल्कि सीधे आरएसएस और बीजेपी के पितृ पुरुष पंडित दीनदयाल उपाध्याय की बखियां उधेड़ दी है।

दरअसल, पंडित दीनदयाल उपाध्याय बीजेपी नेताओं के लिए न केवल प्रातः स्मरणीय हैं, बल्कि भारत सरकार से लेकर छत्तीसगढ़ समेत आधा दर्जन से अधिक राज्य सरकारें उनकी आइडियोलॉजी पर चलती हैं। 25 सितंबर को केरल के कोझीकोड में बीजेपी ने जन्मशती समारोह का आयोजन किया था, जहां प्रधानमंत्री से लेकर पार्टी के तमात दिग्गज मौजूद थे। आईएएस अधिकारी के इस विवादित पोस्ट पर राज्य सरकार ने संज्ञान लेते हुए अप्रसन्नता जताई है, साथ ही कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए तत्काल प्रभाव से मंत्रालय में अटैच कर दिया है।

तायल जिस सरकार के अधीन नौकरी कर रहे हैं, उसके मुखिया डॉक्टर रमन सिंह भी जन्मशती कार्यक्रम में मौजूद थे। छत्तीसगढ़ सरकार ने वहां एक किताब का विमोचन कराया था। जिसमें ब्यौरा दिया गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार पंडित उपध्याय की नीतियों को आत्मसात कर कौन-कौन सी योजनाएं चला रही है।

तायल ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि उपाध्याय का लेखक या विचारक के रूप में एक भी ऐसा काम नहीं है, जिससे उनकी विचारधारा समझी जा सके। वेबसाइटों में ढूंढ़ने पर एकात्म मानवतावाद पर उनके सिर्फ चार लेक्चर मिलते हैं। वो भी वह पहले से स्थापित आइडियाज थे। उपध्याय ने कोई चुनाव भी नहीं लड़ा। इतिहासकार रामचंद्र गुहा की पुस्तक मेकर्स ऑफ मॉडर्न इंडिया में आरएसएस के तमाम बड़े लोगों का जिक्र है। मगर उसमें उपध्याय की कोई चर्चा नहीं है।

तायल डायरेक्ट आईएएस हैं। इसलिए, बड़ी चतुराई के साथ पोस्ट की एंडिंग की है। उपर की पंक्तियों में पंडित दीनदयाल उपध्याय की हैसियत बताने वाले तायल अचानक जिज्ञासु विद्यार्थी बन गए हैं। उन्होंने पूछा है कि मेरे अकादमिक जानकारी के लिए कोई तो पंडित उपध्याय के जीवन पर प्रकाश डाले। मतलब यह कि सरकार पूछे तो बचाव में यह तर्क रहे कि मैं उनके योगदान के बारे में अनभिज्ञ था। मुझे कुछ पता नहीं। इसलिए, मैं जानना चाहता था। जैसे कि अलेक्स पॉल मेनन ने न्यायपालिका को कटघरे में यह कहकर खड़ा कर दिया था, कि 90 फीसदी से अधिक अल्पसंख्यकों एवं अनुसूचित जाति को फांसी की सजा होती है। पोस्ट को डिलीट करने के बाद उन्होंने एक और पोस्ट डाली और यह कहकर माफी मांग ली कि मैं तो मित्रों के साथ चैट कर रहा था। सुबह। कल सुबह नौ बजे तायल ने यह पोस्ट किया और दोपहर में इसे हटा दिया। डिलीट की गई विवादित पोस्ट की स्क्रीन शॉट अब वायरल हो रही है।

वहीं बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने तायल को मानहानि का नोटिस भेजने की बात कही है। उपासने के मुताबिक वो पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अनुयायी रहे हैं और उनका अपमान खुद उनका निजी अपमान है। एकात्म मानववाद के सिद्धांत पर कई राज्यों की सरकारें चल रही हैं। दीनदयाल उपाध्याय ने अंतिम पंक्ति तक विकास पहुंचाए जाने की बात सबसे पहले की थी, जिसने बीजेपी की बुनियाद रखी, उनके बारे में आईएएस अधिकारी का फेसबुक पर किया गया पोस्ट निंदनीय है। आईएएस अधिकारी सरकार के नौकर हैं। उन्हें उतना ही काम करना चाहिए, जिनता उनके अधिकार क्षेत्र में आता है।

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