
रायसेन सहित एक दर्जन जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) ने संकुल प्राचार्यों को राहत राशि वसूलने के आदेश जारी कर दिए हैं। सरकार ने अध्यापकों को एक जनवरी 2016 से छठवां वेतनमान दिया है। इस आदेश में अंतरिम राहत राशि वापस लेने का उल्लेख है, लेकिन राशि कैसे वापस ली जाएगी, स्पष्ट नहीं हैं।
लोक शिक्षण संचालनालय में शिक्षाकर्मी (अध्यापक) शाखा को प्रभार संभाल रहे उप संचालक एसबी धोटे का कहना है कि राहत राशि का एरियर में समायोजन किया जाना है। उल्लेखनीय है कि छठवां वेतनमान स्वीकृत होने के बाद भी अध्यापकों को 1 जनवरी से 30 सितंबर तक वेतन छठवे वेतनमान के हिसाब से नहीं मिला है। इस अवधि का एरियर दिया जाना है, जिसमें से राहत राशि काट ली जाएगी।
सरकार ने चार किस्तों में राहत राशि बांटी है। अध्यापकों के अपने तर्क शासन और डीईओ में विरोधाभास के बीच अध्यापकों ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है सरकार से 2013 में छठवें वेतनमान में समझौता हुआ था। तब सरकार ने कहा था कि छठवां वेतनमान सितंबर 2017 से देंगे। तब तक अंतरिम राहत देंगे। इस हिसाब से अंतरिम राहत तब तक मिलनी चाहिए, जब तक छठवां वेतनमान न मिले।
अब सरकार ने 1 जनवरी 2016 से वेतनमान देने के आदेश जारी कर दिए हैं, तो अंतरिम राहत बंद कर दे। यह राशि बतौर मुआवजा दी गई थी। अब मुआवजा तो वापस नहीं लिया जाता है।
तो 2013 से दें 6वां वेतनमान
अध्यापक नेता ब्रजेश शर्मा, आरिफ अंजुम, ऋतुराज तिवारी ने बताया कि नियम अनुसार एक साथ दो लाभ नहीं दिए जा सकते। जब छठवें वेतनमान का लाभ 2016 से दिया जा रहा है, तो अंतरिम राहत 2013 से क्यों वापस ली जा रही है। यदि ऐसा ही करना है, तो 2013 से ही छठवां वेतनमान दे दें।