लखनऊ। यूपी में यादवों का युद्ध शुरू हो गया है। इसे रोकने की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं। घर की महाभारत में पहला बड़ा हमला बेटे अखिलेश यादव ने किया है। उन्होंने शिवपाल सिंह यादव, नारद राय, ओम प्रकाश सिंह और शादाब फातिमा को भी मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया। इतना ही नहीं जयाप्रदा को भी फिल्म विकास परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया है। तिलमिलाए मुलायम सिंह यादव के पास जवाबी हमले के लिए ज्यादा कुछ नहीं था। उन्होंने सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया।
कुल मिलाकर अब तय हो गया है कि या तो सपा में मुलायम का अध्याय समाप्त हो जाएगा या फिर सपा 2 हिस्सों में बंट जाएगी और आगामी चुनाव वक्त से पहले आ जाएंगे।
मुलायम सिंह यादव ने 24 अक्टूबर को विधानमंडल दल और प्रत्याशियों की बैठक बुलाई, तो उसके एक दिन पहले मुख्यमंत्री ने विधायकों को अपने सरकारी आवास पर बुला लिया। तभी से लगने लगा था कि "तुरुप का इक्का" चलने की बात करने वाले अखिलेश रविवार को कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। आखिर में यही हुआ भी।
मुख्यमंत्री ने विधायकों से इस पूरे बवाल की जड़ में अमर सिंह के होने की बात करते हुए कहा कि उनके साथ रहने वाला व्यक्ति मेरे साथ नहीं रह सकता। उन्होंने बताया कि वह चाचा शिवपाल यादव समेत चार मंत्रियों को बर्खास्त करने का पत्र राजभवन भेजकर बैठक में आए हैं। कुछ देर बाद राज्यपाल राम नाईक ने मंत्रियों को पदमुक्त करने का आदेश भी जारी कर दिया।