भोपाल। हाउसिंग बोर्ड एक सरकारी ऐजेंसी है और लोग भरोसा करते हैं कि हाउसिंग बोर्ड की संपत्तियों में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं होगी, लेकिन ऐसा हो गया। हाउसिंग बोर्ड ने बिना टीएनसीपी परमिशन के अवैध कालोनी का प्रोजेक्ट लांच कर दिया और लगभग 3000 ग्राहकों की बुकिंग भी कर ली। जिस जमीन पर यह प्रोजेक्ट लांच किया गया, हकीकत में वह रिहायशी नहीं बल्कि खेती की जमीन है। यहां मकान बनाना अवैध माना जाता है। समाचार लिखे जाने तक हाउसिंग बोर्ड के पास टीएनसीपी की परमिशन नहीं थी।
भोपाल सहित अन्य शहरों में ऐसे ही नौ प्रोजेक्ट के 2873 ईडब्ल्यूएस और एलआईजी फ्लैट्स का निर्माण लैंडयूज में बदलाव की इजाजत लेने के फेर में फंस गए हैं। हाउसिंग बोर्ड ने राजधानी के बैरागढ़ चीचली में गौरव नगर प्रोजेक्ट लॉन्च किया है। इसके तहत 384 ईडब्ल्यूएस और 816 एलआईजी फ्लैट बनाए जाने हैं। इसके लिए करीब डेढ़ साल पहले बुकिंग भी कर ली गई थी, लेकिन अब तक यहां एक ईंट भी बोर्ड नहीं रख पाया।
इसके अलावा बड़वानी, कटनी, छिंदवाड़ा, मंडला, मुरैना, रीवा, उमरिया और अनूपपुर में अटल आश्रय योजना के तहत फ्लैट का निर्माण होना है। इन सभी प्रोजेक्ट के लिए मिली जमीन का लैंडयूज अभी भी कृषि है, इसे आवासीय किया जाना है। जब तक लैंड यूज नहीं बदलेगा, तब तक निर्माण शुरू नहीं होगा। प्रोजेक्ट में देरी होगी तो यह समय पर पूरे भी नहीं हो पाएंगे।
पहले महाबड़िया कला में हुई थी बुकिंग
हाउसिंग बोर्ड के गौरव नगर प्रोजेक्ट के लिए बुकिंग की प्रक्रिया पिछले साल से चल रही है। पिछले साल इस प्रोजेक्ट को बोर्ड ने महाबड़िया कला में शुरू किया था। इसके तहत तीन बार आवेदन भी बुलाए गए थे, लेकिन लोगों ने यहां बुकिंग के लिए दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसके बाद बोर्ड ने प्रोजेक्ट को बैरागढ़ चीचली में ट्रांसफर कर दिया। अभी इसमें बुकिंग चल रही है।
पहले भी गलती कर चुका है बोर्ड
हाउसिंग बोर्ड ने वर्ष 2009 में करोंद मंडी के सामने देवकी नगर प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। इस प्रोजेक्ट के तहत एलआईजी मकान बनाए जाने थे। इनके लिए 150 लोगों ने बुकिंग भी करा ली थी। बुकिंग के बाद हाउसिंग बोर्ड ने लोगों को बताया था कि जिस जमीन पर प्रोजेक्ट है, वह यातायात लैंडयूज की है। इसके चलते बोर्ड को परमिशन ही नहीं मिल पाई। आखिरकार प्रोजेक्ट निरस्त हो गया।
निरस्त हो चुका है सुरम्य परिसर
हाउसिंग बोर्ड का सुरम्य परिसर प्रोजेक्ट भी निरस्त हो चुका है। यह प्रोजेक्ट अयोध्या एक्सटेंशन में बनना था, इसमें सिर्फ छह बुकिंग हुई थी। बोर्ड ने प्रोजेक्ट को छह साल पहले लॉन्च किया था। इसके बाद इस प्रोजेक्ट को भी निरस्त कर दिया गया था। प्रोजेक्ट गलत तरीके से बना था।