इंदौर। प्रदेश के एक लाख से ज्यादा छात्र बिना इंटरनेट बैंकिंग के परीक्षा फॉर्म नहीं भर पाएंगे। आरजीपीवी ने खुद का ऑनलाइन सिस्टम बनाकर रखा है। इसके लिए हर छात्र को कॉलेज में बैंक खाता खुलवाने का दबाव बनाया जा रहा है। खाता खोलने के लिए प्रति छात्र एक हजार रुपए लिए जा रहे हैं और बैंक खाता मैनेज करने के लिए 5 हजार से ज्यादा जमा करने के लिए कहा जा रहा है। व्यवस्था छात्रों की आर्थिक स्थिति जाने बिना की गई है। इससे छात्र ही नहीं पैरेंट्स भी परेशान हैं।
ट्रांजेक्शन फेल होने पर परेशानी
जिन दो बैंकों में छात्रों के खाते खुलवाए जा रहे हैं वहां छात्रों की परेशानी दूर करने की अलग से कोई व्यवस्था नहीं की गई है। फॉर्म भरने पर ऑनलाइन भुगतान अटकने की समस्या आ रही है। बैंक से पैसा वापस लेने में एक से दो महीने लग रहे हैं। ऐसे में छात्रों के पास फॉर्म भरने के लिए राशि ही नहीं बचती। कॉलेजों का कहना है कि यह व्यवस्था यूनिवर्सिटी ने लागू की है इसलिए छात्रों को मानना ही पड़ेगा।
दस्तावेजों के कारण भी दिक्कतें
कई छात्रों के पास आधार कार्ड नहीं है, जबकि बैंक खाते के लिए आधार कार्ड अनिवार्य रूप से मांगा जा रहा है। कई छात्रों ने आधार कार्ड के लिए आवेदन कर रखा है, लेकिन छह महीने से कार्ड नहीं मिला है। वहीं आरजीपीवी और कॉलेज किसी भी स्थिति में छात्रों को बैंक खाता खुलवाने और इंटरनेट बैंकिंग शुरूकरने के लिए बार-बार रिमाइंडर भेज रहे हैं।
नकद से फॉर्म नहीं भर सकेंगे
पिछले सालों में आरजीपीवी के छात्र एमपी ऑनलाइन या बैंक में चालान के जरिए परीक्षा और अन्य तरह के फॉर्म भर सकते थे, लेकिन अब छात्रों को अपने बैंक खाते से ही ट्रांजेक्शन करने पड़ रहे हैं। कई छात्र खाता नहीं होने के कारण नकद देकर फॉर्म भरना चाहते हैं लेकिन कॉलेज और यूनिवर्सिटी यह सुविधा नहीं दे रहे। जिन छात्रों का पहले से बैंक खाता है, उन्हें भी अन्य बैंकों में खाता खुलवाने के लिए कहा जा रहा है। पासआउट होने के बाद बैंक खाता छात्रों के कोई काम नहीं आएगा।
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छात्र अपने स्तर पर ही परीक्षा और अन्य फॉर्म भर सकें, इसके लिए बैंक खाता खोलकर इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग शुरू किया गया है। इससे छात्रों को अन्य प्रक्रियाओं के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा।
पीयूष त्रिवेदी
कुलपति, आरजीपीवी