स्कूलों की मान्यता: शिक्षा विभाग और IAS अफसरों में 'मलाई की लड़ाई'

भोपाल। मप्र में हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों की मान्यता जा​री करने का अधिकार 'मलाई वाला' काम है। इन दिनों लोक शिक्षण संचालनालय और आईएएस लॉबी के बीच इस मलाई की लड़ाई चल रही है। कलेक्टर चाहते हैं कि मान्यता के अधिकार उनके पास रहें, जबकि लोक शिक्षण संचालनालय के अधिकारी चाहते हैं कि यह काम उन्हें मिल जाए। बॉल अब शिवराज सिंह के पाले में चली गई है। 

लोक शिक्षण संचालनालय को मान्यता जारी करने के अधिकार मिलने के बाद चार साल में तीसरी मर्तबा अधिकारों में फेरबदल किया जा रहा है। दो साल पहले तत्कालीन आयुक्त लोक शिक्षण डीडी अग्रवाल ने मान्यता के अधिकार जेडी से छीनकर कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारियों को सौंप दिए थे। अब कलेक्टरों से छीनकर वापस जेडी को दिए जा रहे हैं। 

सूत्र बताते हैं कि मान्यता समिति की बैठक में आए आईएएस अफसर इस प्रस्ताव से सहमत नहीं थे। फिर भी प्रस्ताव अंतिम स्वीकृति के लिए शासन को भेजा जा रहा है। विभाग अधिकारों के साथ मान्यता नियम भी बदल रहा है। यह प्रस्ताव भी तैयार हो चुका है। 

मुख्यालय के अधिकारियों का तर्क 
लोक शिक्षण संचालनालय में बैठे अफसरों का तर्क है कि कलेक्टर और डीईओ मान्यता के प्रकरणों का समय से निराकरण नहीं कर पा रहे हैं। जिस वजह से मान्यता जारी करने में देरी होती है। कई बार प्रकरणों में गलत निर्णय भी ले लिए जाते हैं। जिन्हें समय रहते सुधारना मुश्किल हो रहा है। 

यह है मलाई की लड़ाई 
मान्यता स्कूलों की अधोसंरचना से जुड़ा मामला है। इसमें एक पत्रक भरा जाता है, जिसमें स्कूल की पूरी जानकारी देना होती है। ज्यादातर स्कूल मापदंड पूरे नहीं कर पाते हैं। ऐसे में बिचौलिओं के माध्यम से मान्यता होती है। इसमें हर साल मोटी कमाई होती है और स्कूलों पर रुतबा कायम रहता है सो अलग। इसलिए हर कोई चाहता है कि मान्यता का अधिकार उन्हें मिल जाए।

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