
सैनी के अनुसार, "पिछले हफ्ते एक प्रस्ताव पारित किया गया। इसमें कहा गया है कि दस वर्ष से कम उम्र के उन बच्चों को ओबीसी की सूची में शामिल किया जाए, जिन्होंने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है। इस प्रकार वे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सभी जातियों की तरह आरक्षण का लाभ हासिल करने के हकदार होंगे।"
उन्होंने बताया, "यह सुविधा हासिल करने के लिए शर्त यह है कि बेसहारा बच्चों की देखभाल करने वाला कोई अभिभावक न हो और उनका दाखिला किसी सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त अनाथालय या स्कूल में हुआ हो।
सैनी का कहना था कि आयोग के प्रस्ताव को सामाजिक न्याय मंत्रालय को भेज दिया गया है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि आयोग के इस प्रस्ताव पर शीर्ष राजनीतिक स्तर पर फैसला लिया जाएगा। इस पर केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी जरूरी होगी।
वर्तमान में तमिलनाडु, तेलंगाना और राजस्थान में बेसहारा व अनाथ बच्चों को ओबीसी के तहत आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। इस व्यवस्था को लागू करते समय इन राज्यों ने अनाथ बच्चों को ओबीसी की सूची में शामिल करने का केंद्र से आग्रह किया था।