देश में दूसरी बार: मुख्यमंत्री समेत सभी विधायकों ने पार्टी छोड़ दी

नईदिल्ली। ये आज देश की सबसे बड़ी खबर है। भारत के इतिहास में दूसरी बार ऐसा हुआ है। अरुणाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री समेत 44 विधायकों ने कांग्रेस छोड़ दी लेकिन भाजपा के हाथ में भी सत्ता नहीं दी। सभी बागी क्षेत्रीय पार्टी पीपीए के साथ चले गए हैं। इससे पहले 80 में ऐसा हुआ था। 22 जनवरी 1980 को हरियाणा के सीएस भजनलाल रातों रात पूरी सरकार के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार बनने के बाद उन्होंने जनता पार्टी के शासन वाली कई राज्यों की सरकार को बर्खास्त कर दिया था। इससे बचने के लिए वे जनता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

सुप्रीम कोर्ट से बहाली के एक महीने बाद ही अरुणाचल प्रदेश में फिर से कांग्रेस की सरकार लड़खड़ा गई है। कांग्रेस के हाथ से फिर अरुणाचल प्रदेश निकलता हुआ नजर आ रहा है। खबर है कि 45 में से 44 विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। बड़ी बात ये है कि इसमें मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी शामिल हैं। सभी बागी विधायकों ने क्षेत्रीय दल पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल का दामन थाम लिया है। खबर है कि पीपीए नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस का साथ दे सकता है। 

मई 2016 में भी पीपीए ने इस एलायंस का साथ दिया था जब राज्य में बीजेपी की सरकार बनी थी। पीपीए असम की बीजेपी सरकार में मंत्री हेमंत विस्वा शर्मा की पार्टी है। इस पार्टी की स्थापना 1979 में एक क्षेत्रीय दल के रूप में हुई थी। भूतपूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल जो नबाम तुकी सरकार में मंत्री थे, फरवरी 2016 में पीपीए में शामिल हो गए थे। उस वक्त कांग्रेस के 24 विधायक उनके साथ पीपीए में शामिल हुए थे। शायद यही वजह है कि खांडू ने बीजेपी की जगह पीपीए को चुना है।

60 सदस्यीय अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा में कांग्रेस के 46 विधायक हैं, जबकि बीजेपी के 11 विधायक हैं। पेमा खांडू पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत दोरजी खांडू के बेटे हैं। कांग्रेस में पहली बगावत नवंबर, 2015 में हुई थी। तभी से वहां राजनीतिक उथल-पुथल का दौर जारी है। उस समय कांग्रेस की सरकार गिर गई थी और कालिखो पुल की अगुवाई में नई सरकार बनी थी, जिसे बीजेपी के 11 विधायकों ने समर्थन दिया था। 

गौर हो कि खांडू के विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद दो निर्दलीयों और 45 पार्टी विधायकों के समर्थन से कांग्रेस ने एक बार फिर राज्य में सरकार बना ली थी। तेजी से बदले घटनाक्रम के बाद बागी नेता खालिको पुल अपने 30 साथी बागी विधायकों के साथ पार्टी में लौट आए थे। गौरतलब है कि पुल बागी होकर मुख्यमंत्री बने थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अपदस्थ कर दिया था।

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