चुनावी वादों को भ्रष्ट आचरण में नहीं रखा जा सकता: हाईकोर्ट

लखनऊ। यदि कोई प्रत्याशी या पार्टी चुनाव के समय जनता से वादे करता है और उसे पूरा नहीं करता तो इसे भ्रष्ट आचारण की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता लेकिन राजनीतिक दलों के गलत आचरण पर रोक लगाया जाना जरूरी है। दलों के उन गलत आचरण को रोकने के लिए हाईकोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दे सकता है जो संविधान के उल्लंघन के दायरे में आते हों। यह निर्णय इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक याचिका के संदर्भ में दिया। 

अदालत में सपा के चुनावी घोषणा पत्र में किए गए लुभावने वादों के खिलाफ अजमल खान ने याचिका दायर की थी। अदालत का कहना था कि मुस्लिम समुदाय के अति पिछड़े वर्ग को अनुसूचित जाति का दर्जा देने का वादा मतदाताओं से किया गया जो शायद केंद्र और राज्य में शक्ति के बंटवारे के सिद्धांत से ठीक से वाकिफ न हों। यह दर्जा निस्संदेह केवल केंद्र सरकार राष्ट्रपति के आदेश से या मौजूदा प्रावधानों में परिवर्तन करके दे सकती है।

यह केंद्र का विषय है, राज्य सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है, लेकिन संभव है कि इस वादे ने मतदाताओं में समाजवादी पार्टी को वोट देने के लिए प्रलोभन का काम किया हो। हालांकि यह भी हो सकता है कि पार्टी ने इस वादे के जरिए कहा हो कि वह अनुसूचित जाति का दर्जा दिलवाने के लिए लड़ेगी। दूसरी ओर इस बात में संदेह नहीं कि देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के निष्पक्ष चुनाव शामिल हैं।

'वादों को भ्रष्ट आचरण में नहीं रखा जा सकता' 
सपा सरकार की ओर से महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने 2013 के सुप्रीम कोर्ट में सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु राज्य मामले की नजीर पेश करते हुए कहा कि चुनावी घोषणा पत्र में किए वादों को भ्रष्ट आचरण में नहीं रखा जा सकता। अगर 2012 के विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र से किसी व्यक्ति विशेष को कोई नुकसान हुआ है तो उसके द्वारा ही चुनाव याचिका दायर की जानी चाहिए थी।

जस्टिस अमरेश्वर प्रताप साही और जस्टिस विजय लक्ष्मी ने अपने निर्णय में कहा कि चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे अगर पूरे नहीं होते हैं तो इसे भ्रष्ट आचरण नहीं कहा जा सकता।

वहीं, चुनाव आयोग को निर्देश जारी करने की प्रार्थना पर कहा कि जब तक सरकार का कोई कदम असंवैधानिक न हो या संवैधानिक प्रावधानों के प्रतिकूल न हो, हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। केवल इसलिए हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता कि सरकार का कोई कदम या किया जा रहा खर्च प्रदेश के लिए कम समझदारी भरा हो सकता है।

वादे जिन्हें याचिका में झूठा बताया
लैपटॉप वितरण : शिक्षा के क्षेत्र में सपा ने झूठा वादा किया कि वह लैपटॉप बांटेगी।
मुसलमानों को आरक्षण : सपा ने अति पिछड़े मुस्लिम समुदाय से वादा किया कि उन्हें अनुसूचित जाति वर्ग का दर्जा दिलवाएगी।
बैट्री रिक्शा : साइकिल रिक्शा चालकों से वादा किया गया कि उन्हें बैट्री रिक्शा दिए जाएंगे।

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