अब सीएम के सचिव से उलझ गए राधेश्याम जुलानिया

भोपाल। दिग्विजय सिंह से लेकर शिवराज सिंह तक हर मुख्यमंत्री को शीशे में उतार लेने वाले आईएएस राधेश्याम जुलानिया हमेशा किसी ना किसी से उलझते जरूर रहते हैं। विवाद भी ऐसा नहीं कि चार दीवारी में सीमित रह जाए, अक्सर ऐसा होता है जो मीडिया की सुर्खियां बन जाता है। ताजा मामला मनरेगा की समीक्षा बैठक का है। जुलानिया जी, सीएम के सचिव विवेक अग्रवाल से उलझ गए। 

समीक्षा बैठक में सचिव विवेक अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री हाल ही में शहडोल दौरे पर गए थे। उन्हें शिकायत मिली थी कि मनरेगा का लेबर पेमेंट करने के लिए जिन इलाकों में बैंकों की ब्रांच नहीं हैं, वहां बैंकों ने एजेंट नियुक्त कर दिए हैं। वे मजदूरों से पेमेंट करने के लिए रिश्वत मांग रहे हैं। 30 सितंबर तक मजदूरों का भुगतान हो जाना चाहिए।

वे आगे कुछ कहते, एसीएस जुलानिया ने उन्हें रोक दिया बोले, विवेक, डोंट डिक्टेट योर टर्म। आई विल मैनेज माय डिपार्टमेंट (अपनी शर्तें मत बताओ, मैं अपने विभाग को संभाल सकता हूं।) 
अग्रवाल: दीज आर माय सजेशन्स (ये मेरे सुझाव हैं)।
जुलानिया: अप्लाई योर सजेशन्स इन योर डिपार्टमेंट (अपने सुझाव अपने विभाग में लागू कीजिए)। 

तनातनी शुरू हुई तो मुख्य सचिव अंडोनी डिसा उठकर बाहर चले गए। शायद उन्हें मालूम था कि राधेश्याम जुलानिया को समझाने का कोई फायदा नहीं है और विवेक अग्रवाल सही दिशा में हैं। 

विवेक अग्रवाल ने कहा- मैं जो सुझाव दे रहा हूं, उनका पालन होना चाहिए।
फिर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव नीलम शम्मी राव को निर्देश दिए कि शहडोल में कैंप करो। कलेक्टर को बुलाओ। चाहे जो करो, लेकिन 30 सितंबर तक मजदूरों का भुगतान हो जाना चाहिए। इतना कह कर अग्रवाल भी बैठक से चले गए। शाम को उनके निर्देश जारी भी कर दिए गए।

कलेक्टर ने की शिकायत की पुष्टि 
मुकेश कुमार शुक्ला, कलेक्टर शहडोल का कहना है कि मुख्यमंत्री जब शहडोल दौरे पर आए थे तो मनरेगा का भुगतान नहीं होने की शिकायतें मिली थी लेकिन रिश्वत मांगने की शिकायत होने की जानकारी मुझे नहीं है। सीएम ने निर्देश दिए हैं कि कैंप लगाकर मजदूरों को भुगतान किया जाए।

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