
निगम ने इसके लिए 12 कर्मचारियों का स्टाफ रखा है। इनमें 4 कम्प्यूटर ऑपरेटर और 10 तकनीशियन हैं। यह सभी दिहाड़ी कर्मचारी हैं। फिलहाल इनको बैठे रहने की पगार मिल रही है। शुक्रवार को भी सिर्फ 2 शिकायतें ही महापौर एक्सप्रेस कॉल सेंटर 0755- 2701555 पहुंचीं। अरेरा कॉलोनी से इलेक्ट्रीशियन व बागसेवनिया से प्लंबर के लिए कॉल आया।
नर्मदा योजना के बाद पार्क भी प्राइवेट
निगम ने नर्मदा योजना के तहत ग्रेविटी लाइनों का मेंटेनेंस और सप्लाई व्यवस्था निजी हाथों में सौंप दी है। पार्कों का रखरखाव भी प्राइवेट हाथों में देने के टेंडर हो गए है। पहले चरण में एयरपोर्ट और बैरागढ़ वाले पार्क को एक साल के लिए प्राइवेट हाथों में दिए जाने की कार्रवाई चल रही है।
योजना के ठप होने के ये कारण भी
महापौर आलोक शर्मा ने धूमधाम के साथ इस सेवा की शुरूआत की थी। इसके तहत कारपेंटर, इलेक्ट्रीशियन और प्लंबर उपलब्ध कराए जाते थे लेकिन इसके बाद खुद महापौर ने ही अपनी एक्सप्रेस पर ध्यान नहीं दिया। जोन स्तर पर योजना का विस्तार नहीं हुआ। अंतत: योजना फ्लॉप हो गई।
आमदनी 7 हजार और खर्चा 60 हजार रुपए महीना
योजना को चलाने के लिए निगम करीब 60 हजार रुपए महीना खर्च कर रहा है। यह खर्च कर्मचारियों के वेतन का है। वाहनों का पेट्रोल अलग है। जबकि कमाई करीब 6 से 7 हजार रुपए महीना ही हो रही है। इसके चलते निगम इस सेवा को कॉन्ट्रेक्ट पर देने की तैयारी कर रहा है। ताकि इससे एकमुश्त राशि प्राप्त हो सके लेकिन ये केवल अधिकारियों का विचार है। कोई ठेकेदार इसे लेने को तैयार होगा इसमें काफी संशय है।