नकली वसीयत बनाने वाले वकीलों पर चलेगा धोखाधड़ी का केस

इंदौर। नकली वसीयत बनाने वाली वकील, नोटरी एवं गवाहों के खिलाफ भी अब धोखाधड़ी का केस चलाया जाएगा। हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह फेसला सुनाया। मामले के आरोपी वकील ने खुद को निर्दोष बताते हुए दलील दी थी कि उनके क्लाइंट ने जैसी जानकारी उन्हें दी, वैसी ही उन्होंने ड्राफ्ट की थी लेकिन कोर्ट इस दलील से सहमत नहीं हुआ। 

मामला बिल्डर कॉलोनी के मकान नंबर 7 बी का है। यह मकान भंवरदेवी काबरा का था। 3 अप्रैल 2006 को उन्होंने एक वसीयत बनाई जिसमें लिखा कि उनकी मौत के बाद मकान छोटी बहू सुशीलादेवी काबरा को मिलेगा। 24 मई 2010 को भंवरदेवी की मौत हो गई। 13वीं के कार्यक्रम में भंवरदेवी के बड़े बेटे कमल किशोर और पत्नी धनवंती ने एक वसीयत दिखाकर मकान पर कब्जा जताया। यह वसीयत भंवरदेवी की मौत के 24 दिन पहले 30 अप्रैल 2010 को बनी थी। इसकी ड्राफ्टिंग एडवोकेट नारायण बाहेती और नोटरी एमए खान ने की थी। वसीयत पर गवाह के रूप में कल्याणमल कोठारी और राजेंद्र पहाड़िया के दस्तखत थे।

एडीएम कोर्ट ने माना था कब्जा
तुकोगंज पुलिस ने सुशीलादेवी की शिकायत पर धारा 145 के तहत प्रकरण दर्ज किया। एडीएम कोर्ट ने इसका निराकरण करते हुए माना कि कब्जा सुशीलादेवी का है। धनवंती ने इस फैसले के खिलाफ सेशन कोर्ट में अपील की जो खारिज हो गई। हाई कोर्ट से भी उसे कोई राहत नहीं मिली। 

जेएमएफसी कोर्ट ने दर्ज कराई थी FIR
सुशीलादेवी ने जेएमएफसी कोर्ट में एक परिवाद दायर किया। इसमें फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने धनवंती, कमल किशोर, वकील बाहेती, नोटरी खान और दोनों गवाहों के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए थे। जेएमएफसी कोर्ट के फैसले के खिलाफ आरोपियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। सुशीलादेवी की ओर से एडवोकेट सीताराम सराफ ने पैरवी की। वकील ने तर्क दिया कि पक्षकार द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर उन्होंने ड्राफ्टिंग की थी। उनका कोई अपराध नहीं है। जस्टिस जेके जैन ने याचिका खारिज करते हुए फैसला दिया कि प्रकरण की सुनवाई जारी रहेगी।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !