
ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है। 12 नंबर बस स्टाप के समीप हाउसिंग फॉर आल योजना के तहत बनाए गए मकानों में से एक घर बीडीए के क्लर्क वल्लभ ने एक महिला नीतू राजपूत को रहने के लिए दे दिया। इसके लिए क्लर्क ने महिला से एक लाख रुपए लिए। क्लर्क ने नीतू को नहीं बताया था कि यह अवैध कब्जा है। नीतू उसे अपने स्वामित्व का आवास मानती रही।
इधर लॉटरी से यह मकान किसी अन्य को आवंटित हो गया। ऐसी स्थिति में नीतू से मकान खाली करा लिया गया। इस पर वे बीडीए पहुंची और पूरी कहानी बताई। बीडीए के चेयरमैन ओम यादव ने कर्मचारी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराने के निर्देश दिए। महिला ने भी थाने में शिकायत की है। सवाल यह है कि क्या यह केवल एक ही मामला है। सूत्र दावा करते हैं कि बीडीए के कई बिना बिके मकानों पर ऐसे ही अवैध कब्जे कराए गए हैं। इनके बदले बीडीए के अफसरों ने मोटी रकम भी वसूली है।