
दरअसल निलेष बैहर स्थित चिटफंड कंपनी में कम्प्यूटर आपरेटर का कार्य करता था और करीब 4-5 माह पहले वहां से जॉब छोड़ दिया था। वहीं पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि पुलिस के द्वारा निलेष नाम के युवक को पूछताछ के लिये नही लाया गया है।
निलेष के पिता ने बताया कि आरक्षक नंदकिशोर लिल्हारे और उसका आरक्षक साथी 29 अगस्त की शाम को उसके बेटे को एक मामले में पूछताछ करने और दो घंटे बाद छोड़ देने की बात कहकर घर से लेकर गये थे। तब से वह घर नहीं लौटा है। उसे कोतवाली और भरवेली थाना में रखा गया था। मै स्वयं दोनों स्थानों पर उससे मुलाकात किया हूं। 1 सितंबर को मैं स्वयं थाने में अपने पुत्र को खाना भी खिलाया और वहां के प्रभारी साहब से मुझसे कहा था कि शाम तक उसे पूछताछ करके छोड़ देंगे उसके बाद से अब पुलिस उसका पता नहीं बता रही है। पीडि़त के पिता एवं पत्नि का कहना है कि पुलिस निलेष को जबरन प्रताडि़त कर रही है।
जब देर शाम तक निलेश घर नहीं पहुंचा तो वे 2 सितम्बर को भरवेली थाना पहुंचा, जहां से उनका पुत्र गायब था। इस मामले में पीडि़त पिता ने न्यायालय की शरण ली है। एक शपथ पत्र देकर 57 सीआरपीसी के तहत सीजेएम कोर्ट में अपने पुत्र को पेश करने का आवेदन दिया। जिस पर सीजेएम कोर्ट ने भरवेली व कोतवाली थाना प्रभारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। जिस पर दोनों ही थाना प्रभारियों ने कोर्ट में इस नाम का कोई युवक नहीं होने का जवाब भी दिया है। अधिवक्ता प्रवेश मलेवार के अनुसार इस मामले में अब कोर्ट ने एसपी से 6 सितम्बर को जवाब या प्रतिवेदन देने को कहा है।
इस मामले में बालाघाट के पुलिस अधीक्षक का कहना है कि उनके द्वारा किसी भी आरक्षक को इस तरह की गतिविधि करने का आदेष नही दिया गया है। उक्त युवक के खिलाफ शिकायत आई थी। जिसकी जॉच होना है। साथ ही पुलिस अधीक्षक का ये भी कहना है कि युवक खुद जॉच की डर से कहीं चला गया होगा। इस मामले में आरक्षक ने क्या कहा, वे नहीं जानते। मामले की जॉच कराई जा रही है।