बालाघाट में फर्जी राइस मिलों ने उठा लिया करोड़ों का लोन

सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। बालाघाट जिले में राष्टीकृत बैंक को करोडों रूपयों का चूना लगने वाला है। अनेक राईस मिलों ने खादय प्रसंस्करण उघोग को मिलने वाले केन्द्रिय अनुदान (प्रोत्साहन राशि) तथा प्रदेश सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुदान हजम करने के लिये बैंक प्रबंधक से मिलकर कमीशन बाजी के चलते करोडों रूपये का लोन स्वीकृत करा लिया। इसमें से कुछ राईस मिले तो ऐसी है जो केवल कागजों में चल रही है और उनके नाम पर बिजली का कनेक्शन ही नही है।

कृषि उपज मंडी द्वारा बिना भौतिक सत्यापन किये इन राईस मिलों को लाइसेंस भी जारी कर दिया है। इन मिलों को लिमिट टर्मलोन और कैश केडिट लिमिट की आड़ में करोडों रूपयों का ऋण स्वीकृत किया जिसके लिये फर्जी कागजात लगाये गये है।

यह उल्लेखनीय है कि कैश क्रेडिट लिमिट के अनुसार राईस मिलों के पास स्वीकृत राशि से दुगनी मात्रा में स्टाक रहना चाहिये लेकिन इन मिलों के पास स्वीकृत मात्रा की तुलना में एक चौथाई भी स्टाक नही है फिर भी फर्जी स्टाक स्टेटमेंट देकर कागजी खानापूर्ति की जा रही है। इस गौरखधंधे में बैंक प्रबंधन शामिल है।

वारासिवनी नगर में ऐसी 3 राईस मिले पाई गई है जो कागजों में चल रही है इन्हें स्वीकृत करने वाले राष्टीयकृत बैंक के प्रंबधक से इस संबंध में जब जानकारी चाही गई तो उन्होने कहा की पूर्व पदस्थ अधिकारियों ने ऋण स्वीकृत किया है मैं कुछ नही कहा सकता की मिले चालू है, कहां स्थापित की गई है।

मध्यप्रदेश विधुत मण्डल वितरण कंपनी वारासिवनी के कार्यापालन यंत्री ने सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी उपलब्ध कराई की संबधित मिलों को बिजली कंनेक्शन नही दिया गया है। इनमें से दो राईस मिलों को जब इस बात की भनक लगी की उनके खिलाफ छानबीन की जा रही  है तो उन्होने आननफानन में बैंक से स्वीकृत राशि जमा कर अपना खाता ही बंद करवा दिया। जानकारी मिली है कि कागज में चलने वाली इन राईस मिलों को 50-50 लाख रूपये की अनुदान सहायता प्रदान की गई है।

इस तरह समूचे जिले में इसी तरह की कारगुजारियों के चलते राष्टीकृत बैंक को करोडों रूपये की राशि का चूना लगने वाला है कई मिले बंद होने की कगार पर पहुच गई है तो कुछ राईस मिलो को बैंक द्वारा अपने अधिपत्य में लेकर नीलामी की कार्यवाही की जा रही है। 

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