रोडवेज की तरह हाउसिंग बोर्ड भी बर्बादी की ओर

भोपाल। जब ऊपर बैठा अधिकारी ​शिकायतें सुनना ही बंद कर दे तो सरकारी विभाग को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता। मप्र हाउसिंग बोर्ड की हालत कुछ ऐसी ही है। मप्र राज्य परिवहन निगम की तरह हाउसिंग बोर्ड भी बर्बादी की ओर आगे बढ़ रहा है। कोई ताज्जुब नहीं कब इसका खात्मा लग जाए। 

लगातार 16 साल हो गए। हाउसिंग बोर्ड घाटे में चला आ रहा है। घाटे के लिए अलग अलग बहाने बनाए जा रहे हैं। मूल समस्या की ओर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा। शायद इसलिए भी क्योंकि यदि समस्या समाप्त कर दी गई तो कमाई भी चली जाएगी। हाउसिंग बोर्ड की जिन कालोनियों में मकान धड़ल्ले से रीसेल हो रहे हैं, वहां लोग हाउसिंग बोर्ड की खाली पड़ी प्रॉपर्टी खरीदने को तैयार नहीं हैं। प्रदेश के छह शहरों में ही करीब 400 करोड़ की प्रॉपर्टी खाली पड़ी है। बने हुए मकान और फ्लेट सड़ रहे हैं। अकेले भोपाल में ही 221 करोड़ की प्रॉपर्टी बिना बिकी पड़ी हुई है। 

नए प्रोजेक्ट की स्थिति भी खराब
हाउसिंग बोर्ड के नए प्रोजेक्टों की स्थिति भी खराब है। बोर्ड ने 2014-15 में कोलार महाबड़िया में एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। इसके तहत 914 फ्लैट बनाने थे, लेकिन इसकी बुकिंग ही नहीं हुई। ऐसे में बोर्ड को प्रोजेक्ट बदलना पड़ा था। अब इसको नए सिरे से बोर्ड ने बैरागढ़ चीचली में लॉन्च किया है लेकिन यहां भी स्थिति खराब है। इससे पहले बोर्ड का बागमुगालिया का द्वारिका परिसर को भी तीन साल में खरीददार मिल पाए थे।

यहां खाली पड़ी बोर्ड की प्रॉपर्टी
भोपाल: दुकान, मकान, हॉल, फ्लैट, प्लॉट मिलकार करीब 220 करोड़
इंदौर: आवासीय और व्यावसायिक प्रॉपर्टी- करीब 43 करोड़
जबलपुर: कर्मिशियल प्लॉट-50 करोड, आवासीय प्लॉट-12 करोड़
ग्वालियर: प्लॉट, मकान, दुकान- 30 करोड़
उज्जैन: प्लॉट-मकान, करीब 25 करोड़
रीवा:प्लॉट, मकान, दुकान- करीब 22 करोड़

16 साल के घाटे की बेलेंस शीट 
1997-98 18 करोड़ 24 लाख फायदा
1999 18 करोड़ 39 लाख फायदा
2000 8 करोड़ 6 लाख घाटा
2001 36 करोड़ 23 लाख घाटा
2002 46 करोड़ 37 लाख घाटा
2003 58 करोड़ 34 लाख घाटा
2004 55 करोड़ 88 लाख घाटा
2005 63 करोड़ 81 लाख घाटा
2006 77 करोड़ 87 लाख घाटा
2007 81 करोड़ 78 लाख घाटा
2008 86 करोड़ 46 लाख घाटा
2009 86 करोड़ 71 लाख घाटा
2010 91 करोड़ 28 लाख घाटा
2011 97 करोड़ 99 लाख घाटा
2012 94 करोड़ 98 लाख घाटा
2013 करीब 96 करोड़ घाटा
2014 करीब 98 करोड़ का घाटा
2015 करीब 100 करोड़ का घाटा

और यह रहा हाउसिंग बोर्ड का बहाना 
प्रॉपर्टी बिक रही है। कुछ प्रॉपर्टी ऐसी है जो नहीं बिक रही। इसे लेकर अलग से योजना बनाई जा रही है। मार्केट की स्थिति खराब है। हाउसिंग बोर्ड पर भी इसका असर है। पिछले एक साल से प्रॉपर्टी की स्थिति खराब है।
राजेश बाथम, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, हाउसिंग बोर्ड

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