सीधी में पेंशन का इंतजार करते-करते मर गया गरीब आदिवासी

सीधी। रामपुर नैकिन जनपद के झगरी गांव मे एक आदिवासी की एक साल से सामाजिक सुरक्षा पेंशन नही मिलने के कारण मौत हो गई है। जिसके लिये सरपंच ने डाक विभाग के पोस्टमास्टर को जबावदेह ठहराया है। बता दें कि जिले भर मे बीते दो सालों से पेंशन वितरण मे गड़बडी की जा रही है। जिसके लिये आन्दोलन प्रदर्शन भी किये गये लेकिन कोई कारगर कदम नही उठाये गये। जिसका नतीजा यह निकला की आर्थिक तंगी के कारण पेंशनधारियों की मौत होने लगी है। 

ऐसे ही मामले की जानकारी झगरी सरपंच शेलेष निगम ने देते हुए बताया है की उनके गांव के एक आदिवासी की आखिरकार एक वर्ष से अपनी सामाजिक सुरक्षा पेंशन की आश लगाये शिवनंदन कोल पिता जगत्धारी कोल निवासी ग्राम झगरी आज दुनिया से चल बसे। चून तम्बाकू और जीवन जीने का एकमात्र आधार थी उनकी सामाजिक सुरक्षा पेंशन जिसे पोस्टमॉस्टर भूपेंद्र सिंह द्वारा कई महीनो से लटकाया जाता रहा। 

80 वर्ष की जर्जर अवस्था में शिवनंदन काका और उनकी पत्नी दुइजि कोल कई बार पोस्ट ऑफिस अमिलहा तक पूरी आश के साथ जाते की इस बार उन्हें अपनी पेंशन मिल जाएगी और वो चून तम्बाकू और रोटियो का स्वाद ताजा कर पायेगे किन्तु पोस्ट मास्टर की बेरुखी के कारण हर बार उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता। 

मात्र शिवनंदन काका ही नही मनरजुआ यादव, रामरती सिंह, बेलिया कोल, माधव सिंह ने भी अपने कई महीनो की पेंशन का इन्तजार करते इस दुनिया से विदा हो गए। कुछ दिनों पहले ही शिवनंदन काका ने कुछ जुगत करके बैंक में अपना खाता खुलवाया था। ताकि उन्हें पोस्टमॉस्टर के अत्याचार से मुक्ति मिल सके किन्तु गांव के सचिव भी उन्हें लटकाते रहे। उनका खाता पेंशन पोर्टल में दर्ज नही कराया गया। ग्राम पंचायत के पेंशनर के खाते पोर्टल में फीड न होने के कारण उन्हें इस तरह के अत्याचार को सहजता से झेलना पड़ता है। 

क्या कहते है सरपंच
मेरी लाख कोशिशों के बाद भी ग्राम पंचयत की व्यवस्था अपनी पटरी में नही आ पा रही है। मेरे लिए सबसे दुखद स्तिथि यही होती है जब कोई अपना पेंशन या खाद्यान की आश लगाये अपना दम तोड़ देता है।
शैलेश निगम सरपंच झगरी
जनपद रामपुर नैकिन 

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