आनंदीबेन होंगी मप्र की नई राज्यपाल

भोपाल। मप्र की राजनीति में राजभवन का बड़ा महत्व है। वर्तमान राज्यपाल श्रीरामनरेश यादव यूं तो कांग्रेस से आते हैं परंतु मप्र की शिवराज सरकार के बड़े प्रिय हैं। देश में सत्ता बदली तो देश भर में कांग्रेस के भेजे गए राज्यपाल भी बदले गए लेकिन मप्र के राज्यपाल को बदलने नहीं दिया गया। उनकी उम्र हो गई है, वो बीमार रहते हैं, उन पर व्यापमं घोटाले में शामिल होने का आरोप भी है। एफआईआर तक दर्ज हो गई थी परंतु सीएम शिवराज सिंह ने उन्हें राजभवन से जाने नहीं दिया। परंतु अब यह बदलाव होने को है। गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल मप्र की नई राज्यपाल हो सकतीं हैं क्योंकि बाबू रामनरेश यादव का कार्यकाल सितम्बर 2016 में खत्म होने जा रहा है। 

भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से पार्टी स्तर पर आनंदीबेन के कहीं बेतहर सेटलमेंट की बात की जा रही है। फिलहाल इस बीच पार्टी स्तर पर जो उनके लिए जो सबसे उपयुक्त जगह देखी गई है, उनमें से एक मध्य प्रदेश के राज्यपाल का कुर्सी है, जो अगले महीने यानि सात सितंबर को खाली हो रही है।

भाजपा शासित राज्य होने के चलते आनंदीबेन के लिए यह सेटलमेंट सबसे उपयुक्त माना जा रहा है। सूत्रों की मानें तो गुजरात में नए मुख्यमंत्री की ताजपोशी यानि काम-काज संभालने के बाद इस दिशा में तेजी से काम शुरू होगा। जानकारों की मानें तो इस मसले पर पार्टी नेताओं की आनंदीबेन से चर्चा भी हो चुकी है।

भाजपा में राज्यपाल पद के और भी दावेदार
पार्टी सूत्रों की मानें तो आनंदीबेन के अलावा पार्टी में राज्यपाल पद के लिए और भी दावेदार है। इनमें हाल ही में 75 साल की उम्र के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल से अलग हुई नजमा हेपतुल्ला का नाम भी शामिल है। खासबात यह है कि वह मौजूदा समय में मप्र के कोटे से ही राज्यसभा सदस्य भी है। साथ ही उनका मप्र से पुराना जुड़ाव भी है। इसके अलावा उप्र, महाराष्ट्र और बिहार से भी राज्यपाल पद के लिए कई दावेदार है।

मप्र को मिलेगा 26 वां राज्यपाल
मध्य प्रदेश का अगला राज्यपाल जो भी होगा, वह प्रदेश का 26 वां राज्यपाल कहलाएगा। मध्य प्रदेश के गठन यानि एक नवम्बर 1956 के बाद से प्रदेश में अब तक 25 राज्यपाल बन चुके है।इनमें पांच राज्यपाल ऐसे भी रहे है,जिन्होंने कार्यवाहक राज्यपाल के तौर पर भी काम किया। मध्य प्रदेश के पहले राज्यपाल डॉ. पट्टाभि सीतारमय्या थे। जिनका कार्यकाल मात्र सात माह का ही रहा।
इनपुट: अरविंद पांडेय, पत्रकार, नई दिल्ली।

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