पश्चिम बंगाल में आरएसएस और भाजपा के बीच तनाव

नईदिल्ली। पश्चिम बंगाल चुनाव में करारी हार के बाद अब वहां भाजपा और आरएसएस के बीच तनाव की स्थिति बन गई है। भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता जबरन थापे गए आरएसएस के पदाधिकारियों से नाराज हैं। उनका कहना है कि जिसे राजनीति का जमीनी अनुभव ना हो वो हमारा पदाधिकारी कैसे हो सकता है। यहां आरएसएस की ओर से ऐसे कई लोगों को भाजपा का पदाधिकारी बनाया है, जिन्होंने इससे पहले भाजपा के कार्यक्रमों में शिरकत नहीं की थी। 

बता दें कि पश्चिम बंगाल में भाजपा पहले से ही 2 गुटों में बंटी हुई थी। एक गुट राहुल सिन्हा का था तो दूसरा रूपा गांगुली एवं साथी नेताओं का लेकिन अब वहां तीसरा गुट भी बन गया है। पार्टी प्रेसिडेंट घोष भी इसी गुट से आते हैं। यह आरएसएस का गुट है। ये सभी तीन धड़े एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं।’

पार्टी में जिम्‍मेदारियों से मुक्‍त किए गए एक अन्‍य सीनियर नेता ने दावा किया कि आरएसएस इस बात की कोशिश कर रहा है कि राज्‍य बीजेपी के फैसलों पर उसका नियंत्रण हो। नेता के मुताबिक, इससे पार्टी को और ज्‍यादा नुकसान हो रहा है। नेता ने कहा, ‘आरएसएस हमेशा से बीजेपी का अभिन्‍न हिस्‍सा रहा है। हालांकि, आखिरी कुछ महीनों में यह सब कुछ इतना बढ़ गया है कि नाकाबिल लोगों को महत्वपूर्ण पद दिए जा रहे हैं क्‍योंकि उनको आरएसएस का समर्थन हासिल है।’ बीते छह महीनों में कई जिलाध्‍यक्षों और संगठन सचिवों को हटाया गया है। बीजेपी के असंतुष्‍ट धड़े ने आरएसएस पर जरूरत से ज्‍यादा दखल देने और उन गैर राजनीतिक तत्‍वों को बढ़ावा दिए जाने का आरोप लगाया है, जिनको न तो राज्‍य की पॉलिटिक्‍स की समझ है और न ही संगठन की।
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