गांधी यदि शांति के प्रतीक हैं तो उन्हें नोबेल पुरुस्कार क्यों नहीं मिला

बालाघाट। बसपा के वरिष्ठ नेता और लांजी के पूर्व विधायक किशोर समरीते ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के संदर्भ में एक बयान जारी किया। इसके बाद विवाद शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि गांधी अगर शांति के प्रतीक होते, तो उन्हें नोबल पुरस्कार मिला होता। उन्होंने कहा कि देश में शांति का प्रतीक गांधी को माना जाता है जबकि असली शांति के प्रतीक गौतम बुद्ध हैं। गांधी की विचारधारा से प्रभावित होकर आज तक एक भी व्यक्ति ने आत्मसमर्पण या हथियार नहीं डाला। इसके ठीक विपरीत गौतम बुद्ध की विचार धारा से प्रभावित होकर सम्राट अशोक सहित अनेकों लोगों ने धर्म परिवर्तन कर शांति का मार्ग अपना लिया था। 

लांजी के पूर्व विधायक का मनाना है कि पूरी दुनिया में लोग जानते हैं कि गौतम बुद्ध शांति के प्रतीक हैं। सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध से परेशान होकर बौद्ध धर्म अपनाया था। उनका हृदय परिवर्तित हुआ था। गांधी के किसी भी शांति आंदोलन से एक भी आंतकवादी ने हथियार नहीं डाला बल्कि चौराचौरी कांड हो गया। 

शांति का नोबल पुरस्कार देने वाली समिति ने गांधी और जिन्ना को शांति का प्रतीक नहीं माना है। अगर माना होता तो उन्हें कब का नोबल पुरस्कार मिल गया होता। इन्हीं की वजह से दोनों देश का विभाजन हुआ। जिससे सैकड़ों की संख्या में हिन्दू मुस्लिमों की जान गई थी। इसलिये ये शांति के प्रतीक नहीं हो सकते। असल शांति के प्रतीक तो गौतमबुद्ध हैं। जिनकी विचारधारा से आज भी लोग परिवर्तित हो रहे हैं, और इसी बात को सामने लाने के लिये यह यात्रा निकाली जाएगी।

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