स्तंभेश्वर महादेव: हर शाम पानी में डूब जाता है शिवलिंग

इस मंदिर की स्थापना कुमार कार्तिकेय ने की थी। करीब 150 साल पहले इसे खोजा गया। यह मंदिर सुबह प्रकट होता है और शाम होते होते इस मंदिर का शिवलिंग पानी में डूब जाता है। यहां दर्शन के लिए जाने वाले शिवभक्तों को समय का खास ध्यान रखना पड़ता है। इतना ही नहीं कभी कभी तो शिवलिंग के दर्शन हेतु 2 से 3 दिन तक वहीं रुकना पड़ता है। 

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के गुजरात राज्य के वड़ोदरा (बड़ोदा) शहर से लगभग 60 कि.मी की दूरी पर स्थित कवि कम्बोई गांव में है। यह मंदिर अरब सागर में खंभात की खाड़ी के किनारे स्थित है। समुद्र के बीच में स्थित होने की वजह से इसकी खुबसूरती देखने लायक है। समुद्र के बीच स्थित होने के कारण न केवल इस मंदिर का सौंदर्य बढ़ता है, बल्कि एक अनोखी घटना भी देखने को मिलती है। 

इस मंदिर के दर्शन केवल कम ज्वार (लहरों) के समय ही किए जा सकते है। ऊंची ज्वार (लहरों) के समय यह मंदिर डूब जाता है। पानी में डूब जाने के कारण यह मंदिर दिखाई नहीं देता, इसलिए ही इसे गायब मंदिर कहा जाता है। ऊंची लहरें खत्म होने पर मंदिर के ऊपर से धीरे-धीरे पानी उतरता है और मंदिर दिखने लगता है। मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण कुमार कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षस का वध करने के बाद किया था। भगवान शिव के इस मंदिर की खोज लगभग 150 सालों पहले हुई थी।

इस मंदिर की यात्रा के लिए पूरे एक दिन-रात का समय रखना चाहिए। ताकि यहां होने वाले चमत्कारी दृश्य को देखा जा सके। सामान्यतः सुबह के समय ज्वार का प्रभाव कम रहता है, तो उस समय मंदिर के अंदर जाकर शिवलिंग के दर्शन किए जा सकते है। शाम से रात के समय में ज्वार का प्रभाव अधिक रहता है, जिसकी वजह से मंदिर को पानी में डूबते हुए देखा जा सकता है।

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