
ठड़ेश्री महाराज के प्रयास से बना था मंदिर
भुवनेश्वर मंदिर की नींव मोहन्द्रा की चौरसिया समाज के एक पान व्यापारी ने करीब डेढ़ सौ साल पहले रखी थी। पर कुछ अज्ञात कारणों से यह मंदिर अधूरा रह गया। अधूरे मंदिर का पूरा काम इस क्षेत्र के प्रख्यात संत ठड़ेश्री महाराज ने करवाया। जिनके बारे में कहा जाता है कि वे अनाज नहीं खाते थे केवल फलफूल खाते थे। कभी बैठते और सोते नहीं थे। हमेशा खड़े रहते थे। इसी कारण उनका नाम ठड़ेश्री रखा गया था।
भुवनेश्वर मंदिर को ठड़ेश्री महाराज के नाम से भी जाना है। उनके बारे में यहां तक कहा जाता है कि एक बार रात्रि में भंडारे की पूड़ी पकाते समय घी खत्म हो गया था तो उन्होनें कुएं से पानी निकालकर पूड़ी पका दीं थी और दूसरे दिन उस कुएं में उतना घी डाला था। जितना रात्रि में पानी निकाला गया था।