
बैतूल के छोटे से गांव सोहागपुर में एक किसान की दिव्यांग बेटी रजनी वर्मा ने एमपीपीएससी 2012 की परीक्षा पास कर डिप्टी कलेक्टर बनते हुए दूसरों के लिए एक मिसाल कायम की है। ये मुकाम हासिल करने में रजनी ने कई परेशानियों का सामना किया।
बचपन में पोलियों ने रजनी को पैरों से लाचार बना दिया लेकिन हमेशा मुस्कुराते रहने वाली रजनी ने अपने जीवन में इस कमी को कभी भी रुकावट नहीं बनने दिया। 12वीं से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई उसने हमेशा फर्स्ट क्लास डिवीजन से पास की।
12वीं पास करने के बाद उसने संविदा शिक्षक की परीक्षा दी और उसे पास करते हुए अपने ही गांव के शासकीय स्कूल में पढ़ाने लग गई। इसके बाद अपने जीजाजी के कहने पर उसने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू की और फिर 2012 में एमपीपीएसी की परीक्षा देते हुए उसके प्री और मेंस एग्जाम पास किए और फिर शुरू हुई रजनी की मुश्किलें।
2012 के एग्जाम में पेपर लीक का मुद्दा उठा और मामला कोर्ट पहुंच गया, जिसके बाद इंटरव्यू पर रोक लगा दी गई। रोक लगने के कारण रजनी भी इंटरव्यू नहीं दे सकी। अब जब सारी बाधाएं हट गईं तो परिणाम सामने आया और रजनी ने वो मुकाम हासिल कर लिया जिसके लिए उसने तमाम परिश्रम किया था।