आयकर विभाग ने मुख्यमंत्री सहायता कोष को ही नोटिस ठोक डाला

भोपाल। लोगों में अपनी दहशत जमाए रखने के लिए आयकर विभाग इन दिनों दनादन नोटिस जारी कर रहा है। अंधाधुंध नोटिस फायरिंग का नमूना देखिए, मप्र के मुख्यमंत्री सहायता कोष को ही नोटिस ठोक डाला। वित्तीय वर्ष वर्ष 2010-2011 और 2011-2012 के लिए टैक्स मांग लिया। ना देने पर कार्रवाई की धमकी भी शामिल कर दी। जबकि आयकर अधिनियम की धारा 80 जी (2) (ए) (वी) के तहत मुख्यमंत्री सहायता कोष को टैक्स से छूट मिली हुई है। 

मप्र शासन के अधिकारियों ने जब आयकर विभाग को कागजात दिखाए गए तो विभाग ने अपनी गलती मानते हुए यह कहा कि गलती से नोटिस जारी हो गया होगा और दोष कम्प्यूटर पर मढ़ दिया, बोले यह सिस्टम जेनरेटेड हो गया। 

सरकारी संस्थाओं को भी नोटिस 
सरकार के कई निगम-मंडलों, मंडी कमेटियों और प्राधिकरणों को भी नोटिस जारी किए गए हैं। कई व्यापारियों और पेंशनरों को तो दो-दो नोटिस तक मिले हैं, जिससे साफ है कि आयकर विभाग ने कई नोटिस बिना किसी पड़ताल के ही जारी कर दिए। ये नोटिस 1 अप्रैल 2010 के बाद की आय के संबंध में दिए जा रहे हैं। 

जनता को नोटिस दे रहे, नेताओं को नोटिस क्यों नहीं 
भोपाल सहित अन्य स्थानों पर इन नोटिसों से करदाताओं में अफरातफरी मची हुई है और वे इसके लिए अब वकीलों के कार्यालयों सहित चार्टर्ड एकाउंटेंट से संपर्क कर रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक व्यापारी ने कहा कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए खर्च की सीमा तय है और अधिकांश नेता उस सीमा से अधिक खर्च करते हैं। जब व्यापारियों, पेंशनरों और किसानों से पूछताछ हो रही है तो इन नेताओं को नोटिस क्यों नहीं दिए जा रहे। 

हजारों किसानों को नोटिस थमा दिए 
प्रदेश के हजारों किसानों को भी आयकर विभाग से नोटिस थमाए गए हैं। वे किसान भी परेशान हैं, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में जमीन खरीदी या बेची। कई काश्तकारों ने समितियों में अपनी उपज न बेचकर नगद में बेची, जिसका प्रमाण उनके पास नहीं है। किसानों ने अपनी उपज की यह राशि बैंकों में जमा की। कई ने इस पैसे का उपयोग जमीन खरीदने में किया। अब ये किसान परेशान हैं। वे पढ़े-लिखे हैं नहीं। उनके पास अब एक ही विकल्प है कि राजस्व अधिकारी उनके खेतों में जाकर उपज व कमाई का अनुमान लगाएं। तभी किसान अपनी कमाई को सही साबित कर पाएंगे। होशंगाबाद, इटारसी, पिपरिया, नरसिंहपुर, सीहोर, रायसेन, नरसिंहपुर आदि स्थानों पर किसान वकीलों सहित कानूनी कर सलाहकार के पास पहुंच रहे हैं। कुछ ऐसे किसानों को भी नोटिस दिया गया है जिन्होंने एक लाख से अधिक की कृषि आय घोषित की है । 

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