मुरैना। देश बदल रहा है, तरक्की कर रहा है। शहर अब स्मार्टसिटी होने जा रहा हैं लेकिन जिन्होंने देश को आजादी दिलाई वो आज भी दाने दाने को मोहताज हैं। 107 साल के गांधीवादी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दयाराम जोशी संघर्ष के दिनों में लालबहादुर शास्त्री के साथ हुआ करते थे। आज ना इलाज के लिए दवाएं हैं और ना खाने के लिए अनाज। कई बार तो वो केवल पानी पीकर ही सो जाते हैं।
दयाराम जोशी का जन्म मुरैना में ही 1910 में हुआ था और वे 11 साल की उम्र में पढ़ने के लिए बनारस चले गए थे। 1921 में वे पूर्व पीएम लालबहादुर शास्त्री के संपर्क में आए और उनके साथ करांची में रहकर देश को आजाद कराने के लिए संघर्ष करने लगे। देश के आजाद होने के बाद ही वे करांची से लौटे। श्री जोशी ने बताया कि इस दौरान वे कई बार जेल में भी शास्त्री जी के साथ रहे।
शिवराज सिंह ने दवाएं बंद कर दीं
अगस्त 2012 में दयाराम जोशी को पैरालाइसिस का अटैक हुआ। उनके इकलौते बेटे नरोत्तम जोशी जो बेरोजगार हैं, ने इधर उधर से व्यवस्था कर इलाज कराया। हालांकि इस दौरान शासन से भी दवाएं मिलती रहीं लेकिन जनवरी 2015 से शासन से मिलने वाली दवाएं बंद हो गई। सीएमएचओ ने कहा दिया कि अब शिवराज सिंह ने स्कीम बंद कर दी है। हमारे पास दवा देने के अधिकार नहीं हैं। जब से श्री जोशी का इलाज बंद है।
खुद का घर तक नहीं
पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस के पीछे उनकी हालत को देखते हुए एक व्यक्ति ने अपने प्लॉट में बने कमरे को उन्हें रहने के लिए दे दिया है। इसी कमरे में वे अपने बेटे नरोत्तम के साथ बदहाली का जीवन जी रहे हैं।