
नंदकुमार सिंह चौहान ने प्रमोशन में आरक्षण को संविधान प्रदत्त व्यवस्था बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में संविधान सर्वोपरि है। समाज के जो लोग मुख्य धारा से छूटे थे, आजादी के बाद सुविचारित तरीके से 1957 में उनके लिए आरक्षण व्यवस्था लागू हुई। आरक्षण संवैधानिक व्यवस्था है, इसका सम्मान किया जाना चाहिए।
बता दें कि प्रमोशन में आरक्षण संविधान प्रदत्त व्यवस्था नहीं है। मप्र में इसे 2002 में कांग्रेस सरकार द्वारा दलित वोट के लालच में शुरू किया गया था। कांग्रेस सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी एवं हाईकोर्ट ने कांग्रेस सरकार के इस फैसले को संविधान की मंशा के विपरीत पाते हुए रद्द कर दिया है।