
खास बात ये है कि प्रदेश के आदिवासी इलाके में सबसे ज़्यादा उल्टी, दस्त, डायरिया की परेशानी सामने आ रही है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में ये ज़ाहिर होता है कि सबसे ज़्यादा मौसमी बीमारियां दूषित पानी पीने से हो रही हैं।
इसी को देखते हुए विभाग के मंत्री रुस्तम सिंह का कहना है कि हर बार स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में बढ़ोत्तरी हो जाती है, जबकि पूरी तरह से सिर्फ स्वास्थ्य विभाग इस बात के लिए ज़िम्मेदार नहीं है। इसके लिए पीएचई विभाग की भी बराबर ज़िम्मेदारी है कि, वो लोगों को साफ पानी मुहैया कराए जिससे वो बीमार न पड़ें। अब स्वास्थ्य विभाग ने पीएचई डिपार्टमेंट के एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें कहा गया है कि पीएचई जहां-जहां कुओं में पानी दूषित है वहां साफ पेयजल की व्यवस्था करे।