
जानकारी के मुताबिक, 2015 में सरकार ने विधानसभा में एक ऐसा नियम पास कर लिया था, जिसके तहत वो जनता पर मनमाना टैक्स थोप सकती है। बेवजह की बातों पर ववंडर मचाने वाली कांग्रेस ने सदन में इस नियम का कोई विरोध नहीं किया। इसके बाद से ही विशेष अधिकार का उपयोग कर कई बार पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाया गया। इससे सरकार को मिलने वाला पेट्रो राजस्व 6,832 से बढ़कर 7,631 करोड़ रुपए हो गया।
सरकार की ये कमाई उस समय हुई जब कच्चे तेल के दाम 56 प्रतिशत तक कम हो जाने के कारण महाराष्ट्र और गुजरात समेत कई राज्यों में पेट्रो राजस्व में कमी आई थी। जानकारी के मुताबिक अभी भी एमपी में ही सबसे महंगी दर पर पेट्रोल और डीजल बेचा जा रहा है।