भोपाल। बीमार महिला को इलाज के लिए ले जा रहे एक परिवार को बस से उस समय नीचे उतार दिया गया जब रास्ते में ही महिला की मौत हो गई। बस से जिस स्थान पर उन्हें उतारा गया वहां घना जंगल था। 8 घंटे तक यह परिवार महिला की लाश के साथ जंगल में खड़ा सिसकता रहा। किसी ने मदद नहीं की। डायल 100 ने भी कोई मदद नहीं पहुंचाई। अंतत: दमोह के 2 वकीलों ने मदद की।
जानकारी के अनुसार, छतरपुर जिले के घोघरी गांव में रहने राम सिंह की पत्नी मल्ली बाई ने पांच दिन पूर्व एक बेटी को जन्म दिया था। प्रसव के बाद से ही मल्ली बाई की तबियत बिगड़ती गई, तो रामसिंह उसे इलाज के लिए बस से दमोह ले जा रहा था। रामसिंह के अनुसार, सफर के दौरान पत्नी की सांसें थम गईं। पत्नी की मौत होने के बाद बस के ड्राइवर, कंडक्टर और क्लीनर ने उसे, बूढ़ी मां और पांच दिन की बच्ची को महिला के शव के साथ चैनपुरा और परसाई गांव के बीच जंगल में उतार दिया।
इसके बाद ये परिवार 5 दिन की बच्ची और शव को लिए 8 घंटे तक मदद की गुहार लगाता रहा, लेकिन उनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया। वकील हजारी और राजेश पटेल अपनी बाइक से दमोह लौट रहे थे, तो उन्होंने रामसिंह को अपनी पत्नी के शव, नवजात बेटी और बूढ़ी मां के साथ रोते हुए देखा। रामसिंह से आपबीती सुनने के बाद वकील ने डायल 100 पर फोन किया, लेकिन काफी देर तक मदद के लिए कोई पुलिस का जवान नहीं पहुंचा।
इसके बाद दोनों वकीलों ने रामसिंह के परिवार के लिए अपने स्तर पर वाहन का इंतजाम किया। बताया जा रहा है कि इस दौरान पुलिस के कुछ जवान पहुंचे भी तो उन्होंने अपने क्षेत्र का मामला नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया।