
वंचित समुदाय की महिलाओं के साथ होने वाली सभी तरह की हिंसा और अन्याय के विरोध में ग्रामीण महिलाओं द्वारा बनी इस नारी अदालत ने अपने न्याय की बदौलत वैश्विक पहचान बनाई है।
नारी अदालत को यूके की संस्था सिस्टर फॉर चेंज ने न्याय के मॉडल के तौर पर अपनाया है। इस संस्था ने नारी अदालत के साथ दो साल का गठबंधन किया है। महिला हिंसा और दलित महिलाओं के लिए काम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का साथ अब नारी अदालत को मिलेगा। रविवार को टीम शहर पहुंची जहां नारी अदालत से जुड़ी महिलाओं के साथ गठबंधन किया गया। संस्था ने 10 महिलाओं का चयन किया है जो 24-26 जुलाई तक दिल्ली में ट्रेनिंग लेंगी और देंगी। बिहार में महिलाओं के साथ इस संस्था का यह पहला गठबंधन है।
नारी अदालत में निपटे तीन हजार से अधिक मामले
संस्था की कंट्री कॉर्डिनेटर संतोष शर्मा ने बताया कि अप्रैल 2016 तक में नारी अदालत में 3803 मुद्दे आये। 3409 मामलों का हल निकाला गया। जमीनी स्तर पर इन महिलाओं के काम करने के तरीके, महिला मुद्दों के प्रति संवेदनशीलता और महिला हिंसा के विरोध काम करने के कारण इन्हें संस्था ने मॉडल के रूप में चुना है।
दी जाएगी ट्रेनिंग, एक्ट की मिलेगी जानकारी
संतोष शर्मा ने बताया कि नारी अदालत के जरिए ग्रामीण महिलाओं ने जिस तरह महिलाओं को न्याय दिलाने का काम किया है, उसे मॉडल के तौर पर अन्य जगह अपनाया जाएगा। इसके साथ महिला हिंसा जैसे मुद्दों में पुलिस, प्रशासन और न्यायपालिका का सहयोग इन महिलाओं को किस तरह मिले, इसका उपाय किया जा रहा है। व्यवस्थित तरीके से काम करने के लिए पूरा अपडेट सेटअप इन्हें दिया जाएगा। संस्था इन्हें पॉक्सो, घरेलू हिंसा अधिनियम समेत सभी एक्ट पर भी ट्रेनिंग देगी।
क्या है नारी अदालत
वर्ष 2014 में 16 प्रखंड में महिला सामाख्या से ट्रेनिंग लेने के बाद ग्रामीण महिलाओं ने नारी अदालत का गठन किया। 7-10 सदस्यों के साथ महिलाओं की कमेटी है। महीने की 25 तारीख को पंचायत स्तर पर अदालत लगाकर इसमें मामलों की सुनवाई होती है।