सर्पदशं: डॉक्टर नहीं है, दवाएं खरीदे जा रही है सरकार

भोपाल। कर्ज लेकर घी पी रही मप्र सरकार सर्पदंश के समय लगाए जाने वाले स्नैक वेनम इंजेक्शन बड़ी संख्या में खरीद रखे हैं लेकिन उन्हें लगाने के लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टर ही नहीं हैं। विधानसभा में यह मामला उठा तो स्वास्थ्य मंत्री महोदय ने बताया कि 'एंटीवेनम का एक्सपायरी डेट 5 साल होता है। क्या आप चाहते हैं तब तक कोई डॉक्टर ही नहीं पहुंचे।' हम बड़ी विनम्रता से माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहते हैं कि जब आप स्पेशलिस्ट डॉक्टर नियुक्त करेंगे, तब क्या दवाएं मिलना बंद हो जाएंगी ? तब खरीदेंगे तो अगले 5 साल काम आएंगी। 

विधानसभा में ध्यानाकर्षण के दौरान यह मामला उठा। मंदसौर के विधायक यशपाल सिसौदिया ने सदन में चार दिन पहले सरकार द्वारा जारी आंकड़े रखते हुए बताया 2013 से अब तक उज्जैन संभाग के 193 लोग सर्पदंश के शिकार हो चुके हैं। इसमें सबसे ज्यादा मंदसौर में 63 है। उन्होंने बताया खेत में काम करने वाले लोग ज्यादातर सर्पदंश के शिकार होते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन भी खरीद ली। 2013 से लेकर अब तक 2 लाख 29 हजार 625 दवाइयां खरीद ली मगर कुछ जिला मुख्यालयों के अलावा कहीं भी इसे लगाने वाले स्पेशलिस्ट डॉक्टर ही नहीं है।

मरीज को जिला मुख्यालय तक लाने में जहर फैल जाता है और मौत हो जाती है। उन्होंने आग्रह किया कि सरकार सर्प दंश के शिकार लोगों को बचाने के लिए निजी अस्पतालों से अनुबंध करे। ताकि जो जहां है उसे वहां सरकारी अस्पतालों में नहीं तो निजी अस्पतालों में ही इलाज मिल जाए।

मंत्रीजी ने निदान नहीं दिया, भाषण दिया
स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह ने कहा विधायकों से आग्रह करुंगा वे लोगों को जागरुक करें कि झाड़ फूंक से पहले अस्पताल पहुंचे। सर्पदंश से औसत मृत्यु दर 22 फीसदी है। यदि लोग अस्पताल तक आ जाए तो इसे घटाया जा सकता है। अस्पताल में आने वाले 100 मरीजों में से 75 को बचा लिया जाता है। अभी ऐसी स्थितियां नहीं है कि पंचायत स्तर तक इसका इसकी व्यवस्था की जा सके। इस पर कांग्रेस विधायक तरुण भनोत ने सवाल उठाया जब सरकार डॉक्टर नहीं पहुंचा सकती तो इतनी दवाइयां क्यों खरीदकर रखी है। इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि एंटीवेनम का एक्सपायरी डेट 5 साल होता है। क्या आप चाहते हैं तब तक कोई डॉक्टर ही नहीं पहुंचे। 

  • क्या उम्मीद थी
  • उम्मीद थी कि मंत्री महोदय इस समस्या का निदान सुझाएंगे। 
  • वो निजी अस्पतालों से अनुबंध पर विचार करेंगे। 
  • या फिर ग्रामीण क्षेत्रों से मरीजों को जल्द से जल्द अस्पताल लाने के लिए कोई योजना देंगे। 
  • समस्या उठाने वाले विधायक सिसौदिया ने सुझाव भी दिया इंडियन मेडिकल एसोसिएशन इसमें फ्री कॉल सेवा देने को तैयार हैं लेकिन निदान पर बात ही नहीं की गई। खाली बहस हुई। 

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