लिव इन में रह रहे स्टूडेंट्स को सस्पेंड करना उचित: हाईकोर्ट

नईदिल्ली। पढ़ाई के लिए घरों से निकले स्टूडेंट्स यदि माता पिता की अनुमति के बिना लिव इन पार्टनर बनकर रहते हैं तो उनके शिक्षण संस्थान उनके खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई कर सकते हैं। यह निर्णय केरल के हाईकोर्ट ने मारथोमा कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी संबंधी विवाद पर दिया है। 

20 वर्षीय लड़की अपने कॉलेज में ही पढ़ने वाले एक लड़के के साथ रह रही थी, जिसके चलते कॉलेज ने दोनों पर कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया था। युवती कोल्लम में मारथोमा कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की अच्छी छात्रा रही है। छात्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा, ‘प्यार का यह मामला पहला नहीं है लेकिन बिना परिजनों को बताए साथ में रहना बहुत बड़ा कदम है, इसके लिए मैनेजमेंट अपने शिक्षण संस्‍थान के अनुशासन को दरकिनार नहीं कर सकता।‘

यह छात्रा मारथोमा कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में अंग्रेजी विषय में अंडर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही है। छात्रा के सहपाठियों का कहना है कि वह पढ़ाई में बेहद तेज है। अपनी अंतिम परीक्षा में उसने 80 फीसदी अंक हासिल किए थे। जनवरी में जब कॉलेज अधिकारियों ने यह पाया कि वह अपने 19 साल के ब्‍वॉयफ्रेंड के साथ रह रही है तो उसे अनिश्चितकाल के लिए सस्पेंड कर दिया गया।

इनके माता-पिता ने इनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसके बाद इन लोगों का पता लगाया गया। कोर्ट ने कहा कि इस जोड़े के अधिकारों का हनन नहीं हुआ, जैसा कि छात्रा ने आरोप लगाया था कि उसे महज एक छात्र के साथ प्यार करने की बहुत बड़ी सजा दी गई।

कॉलेज के प्रिंसिपल केसी मैथ्यू ने कहा कि इस फैसले से अनुशासन बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके जैसे प्राइवेट कॉलेज के लिए मजबूत छवि जरूरी है।

हालांकि कॉलेज के छात्र इस विवाद पर बयान देने को लेकर काफी घबराते दिखे। एक छात्र ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर एनडीटीवी को बताया कि जो हुआ है, वह गलत है। किसी भी छात्र के साथ इतनी सख्ती नहीं बरती गई, जितनी इन दोनों के साथ की गई। यह साफ तौर पर भेदभाव है।

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