मंडला। राज्य अध्यापक संघ मप्र ने नये शिक्षा मंत्री कुंवर विजयशाह के इस फरमान का स्वागत किया है कि विद्यालय के शिक्षकों के लिये ड्रेस कोड लागू किया जायेगा। राज्य अध्यापक संघ के जिला शाखा अध्यक्ष डी.के. सिंगौर ने जारी बयान में कहा कि लेकिन अध्यापकों को यह ड्रेस कोड तब स्वीकार्य होगा जब शिक्षा विभाग के शिक्षकों के लिये अलग ड्रेस कोड और स्थानीय निकाय के अध्यापक संविदा शिक्षक और गुरूजियों के लिये अलग ड्रेस कोड तय की जायेगी।
संघ ने अपने जारी बयान में कहा है कि जब शिक्षक और अध्यापक अलग अलग विभाग के कर्मचारी हैं उनकी वेतन और सेवा शर्ते अलग अलग हैं तो फिर उन्हे एक समान ड्रेस कैसे पहनाया जा सकता है। शिक्षकों के आदेश शिक्षा विभाग जारी करता है जबकि अध्यापकों के पंचायत विभाग द्वारा आदेश जारी होते हैं। शिक्षक जिस विभाग के कर्मचारी हैं उनके मंत्री कुंवर विजय शाह हैं जबकि अध्यापक जिस विभाग के कर्मचारी हैं उनके मंत्री श्री गोपाल भार्गव हैं। फिर इतनी भिन्नता के चलते एक समान ड्रेस कोड क्योंकर हो सकती है।
अध्यापकों का कहना है कि माननीय कुंवर विजय शाह पहले अध्यापकों को अपने विभाग का कर्मचारी तो बना ले तभी उन्हे अपनी मर्जी की ड्रेस पहना सकते हैं। यदि शिक्षा विभाग में बिना संविलियन किये बगैर ड्रेस कोड लागू किया जाता है तो अध्यापक अपना अलग ड्रेस कोड तय करने पर विचार कर सकते हैं जो कि स्वमेव एक आंदोलन का रूप बनेगा। तदाशय को लेकर जिले भर के अध्यापक 17 जुलाई दिन रविवार को मण्डला के रपटा घाट टीन शेड में एकत्रित होंगें और जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सम्पतिया उइके और शिक्षा समिति के अध्यक्ष श्री शैलेष मिश्रा को शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर मांग करेंगें कि पहले अध्यापकों को शिक्षा विभाग का कर्मचारी बनाया जाये इसके बाद शिक्षक और अध्यापकों के लिये एक समान ड्रेस कोड लागू किया जाये।
जिले भर से एकत्रित हो रहे अध्यापक शिक्षा विभाग में संविलियन, विसंगति रहित गणना पत्रक, एम शिक्षा मित्र स्कीम, अंशदायी पेंशन, स्थानांतरण आदि समस्याओं के साथ साथ बिखरी अध्यापकों शक्ति को एकजुट करने जैंसे गंभीर विषयों पर चिंतन मंथन करेंगें और अध्यापकों के आंदोलन को एक नई दिशा देने का प्रयास करेंगें। राज्य अध्यापक संघ का मानना है कि अध्यापकों की समस्याओं का अंत शिक्षा विभाग में संविलियन और बिना एकजुट हुये नहीं हो सकता है।