
सागर के तिली वार्ड निवासी आकाश चौरसिया पिछले 5 साल से एग्रीकल्चर मैनेजमेंट, नेचुरल फार्मिंग, मल्टी लेयर फार्मिंग, वाटर मैनेजमेंट, बीड मैनेजमेंट, ऑर्गनिक खेती पर काम कर रहे हैंं। उनके द्वारा इजाद किए गए जैविक खेती के तरीकों को देशभर में किसानों ने अपनाकर खेती से 10 गुना ज्यादा तक मुनाफा उठाया।
पिछले दिनों उन्हें दिल्ली सरकार के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर, पार्क एंड गार्डन्स सोसायटी, डिपार्टमेंट ऑफ इंवायरमेंट डॉ. एसडी सिंह की ओर से बुलावा आया। 12 जुलाई को दिल्ली सचिवालय में आकाश चौरसिया ने प्रेजेंटेशन दिया। आकाश बताते हैं कि डॉ. सिंह ने प्रेजेंटेशन के बाद कहा कि आपने हमें महंगे पॉली हाउस का विकल्प भी दे दिया है।
आकाश से क्या चाहती है दिल्ली सरकार
आकाश के मुताबिक, टीकमगढ़ के एक मित्र के माध्यम से दिल्ली सरकार ने उनसे संपर्क किया था। दिल्ली में करीब 1600 सरकारी स्कूलों में ईको क्लब बनाए गए हैं। इन क्लबों को सरकार एग्रीकल्चर क्लब में तब्दील कर एग्रीकल्चर मॉडल तैयार करना चाहती है। इसका उद्देश्य शिक्षकों और बच्चों को नेचुरल एग्रीकल्चर की ट्रेंनिग देना है।
देशभर में मॉडल फॉर्म हाउस बना चुके हैं
आकाश का परिवार पान की पुरातन खेती से जुड़ा रहा है। वे डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन उनका रूझान खेती की तरफ हो गया। उन्होंने 3 एकड़ में एक फॉर्म हाउस बनाया। इसमें पौधों का कुपोषण दूर करने की तकनीक ईजाद करने में जुट गए। देशभर में 42 फॉर्म हाउस तैयार करा चुके हैं। 33 हजार से अधिक किसानों को खुद के फॉर्म हाउस में ट्रेनिंग दे चुके हैं। बनारस हिन्दू विवि, शंकराचार्य विवि रायपुर, जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि, सागर विवि सहित देश की प्रतिष्ठित 19 यूनिवर्सिटी को भी लेक्चर दे चुके हैं।
क्या है मल्टी लेयर फार्मिंग
मल्टी लेयर फार्मिंग का मतलब एक खेत में एक सीजन में एक साथ कई फसलें उगाना है। आकाश के फॉर्म हाउस पर पांच लेयर तक खेती की जा रही है। यह खेती छोटे किसानों के लिए फायदेमंद है। उन्हाेंने पॉली हाउस के विकल्प के तौर पर बांस और घासपूस से शेड तैयार किए।
वे पोर्टेबल बेग में गोबर और केंचुओं से खाद भी तैयार करते हैं। पेस्टीसाइड के विकल्प के रूप में गोबर व केंचुओं के शरीर से निकले 22 प्रकार के एंजाइम व 5 प्रकार के एसिड से अर्क तैयार करते हैं। गोबर में पाए जाने वाले 16 सूक्ष्म तत्वों से मिट्टी का पूरा प्राकृतिक भोजन तैयार करते हैं। वहीं अंकुरण अवस्था से ही पौधे को सारे तत्व देकर उनका कुपोषण दूर करते हैं।