
विवेचक ओपी मीणा के अनुसार कैलाश मालवीय समेत चार लोगों ने 4 अक्टूबर, 2015 को एक शिकायती आवेदन दिया था। इसमें उन्होंने बताया था कि वे सभी वर्ष 2014 से सुगमा लाइफ इंशोरेंस कंपनी में बीमा एजेंट थे। कंपनी के मैनेजर मनीष करात उनकी पत्नी रजनी करात और साला राममूर्ती संचालक थे। इसके अलावा सुनील कुमार साहू और भूरेलाल राणावत भी सीनियर पोस्ट पर थे। कंपनी का जोन-2 प्लॉट नंबर-134 में ऑफिस था।
उन्होंने बतौर एजेंट के तौर पर कंपनी के लिए काम करते हुए करीब साढ़े 500 लोगों का बीमा कराया। प्रत्येक से 3-3 हजार रुपए लिए। यह एक्सीडेंट और हेल्थ बीमा के नाम पर कराया गया था। कंपनी की तरफ से वायदा किया गया था कि बीमा धारक को 3 हजार का बीमा करने पर 10 हजार रुपए का मुआवजा, टूर एंड ट्रैवल्स का पैकेज और तीन साल बाद दस गुना 30 हजार रुपए लौटा दिए जाने का वायदा किया गया था। लोगों ने दसा गुना के लालच में आकर बीमा करा लिया। कैलाश ने आरोप लगाए कि तीन साल तक कमीशन पर काम करने के बाद जब रुपए लौटाने का समय आने लगा, तो आरोपियों ने सितंबर, 2015 में एमपी नगर जोन-2 का अपना ऑफिस बंद कर दिया और साकेत नगर स्थित अपने घर से इसे संचालित करने लगे।
इसके बाद धीरे से वे 13 लाख 62 हजार रुपए की राशि समेटकर फरार हो गए। विवेचक मीणा ने बताया कि पुलिस ने आवेदन की जांच 10 जनवरी, 2016 में पांचों आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है। पुलिस ने मनीष रविवार को न्यायालय में पेश कर दिया, जहां से उसे दो दिन की पुलिस रिमांड पर एमपी नगर पुलिस के हवाले कर दिया गया है।